अंतरिक्ष में तले सकेंगे जा सकेंगे आलू, यात्री खाएंगे फ्रेंच फ्राइज
अंतरिक्ष अनुसंधान में अब इस बात के लिए प्रयोग ज्यादा हो रहे हैं कि कैसे इंसान लंबे समय तक पृथ्वी से बाहर बिना गुरुत्व के रह सकता है जिससे चंद्रमा पर लंबे समय तक रहा जा सके और दूर के ग्रहों तक आने जाने के दौरान जिंदा रह कर जरूरी आवश्यकताओं को पूरा भी किया जा सके. इसमें एक अहम पहलू भोजन की व्यवस्था करना है क्योंकि ना तो मंगल जैसे अभियानों के लिए भारी मात्रा में भोजन अपने साथ ले जाया जा सकता है और ना ही पृथ्वी की तरह अंतरिक्ष में भोजन पकाया जा सकता है. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ऐसे उपाय खोजे हैं जिनसे अब अंतरिक्ष यात्री माइक्रोग्रैविट जैसे वातावरण में आलू तल सकेंगे.
कई तरह की प्रक्रियाएं
अतंतरिक्ष में खाना बनाने के लिए हमारे पास वे सुविधाएं नहीं होंगी जो कि पृथ्वी पर होती हैं. हवा और गुरत्व खाना पकाने की कई भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा तापमान भी एक बड़ा कारक होता है. क्योंकि अंतरिक्ष में तापमान कायम करना भी एक समस्या है.
पृथ्वी पर आसान लेकिन
यूरोपीय स्पेस एजेंसी यानि ईसा के वैज्ञानिकों की एक टीम ने अंतरिक्ष में खाना पकाने के तरीके विकसित करने पर काम किया है जिसमें अंतरिक्ष में खाना तलना प्रमुख है. पृथ्वी पर पकाने की क्रियाएं बहुत सामान्य सी लगती हैं और इनके लिए हमें इनके पीछे की भौतिकी और रसायन को भी समझने की जरूरत नहीं होती है.
बिना हवा और गुरुत्व के
यहां तक कि आलू तलने की प्रक्रिया दुनिया में अपनाई जाती है. लेकिन इसमें भी एक जटिल भौतिकी और रसायन शास्त्र होता है. और इतना ही नहीं यह सब कुछ हवा विहीन और गुरुत्व विहीन अतंरिक्ष में और भी ज्यादा जटिल और चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इसमें सबसे पहले तो हम अंतरिक्ष में सब कुछ खुले में नहीं कर सकते, क्योंकि सारा सामान ही खाली जगह पर तैरने की कोशिश करने लगेगा.
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