अजमेर के नागपहाड़ स्थित नौसर माता मंदिर में नौ रूपों के होते है दर्शन, जानिए मान्यता


रतन गोठवाल/ अजमेर: राजस्थान के अजमेर जिले के नागपहाड़ पर स्थित नौसर माता मंदिर भक्तों के लिए आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. इस मंदिर में मां जगदंबा के नौ स्वरूपों के दर्शन एक साथ होते हैं, जो इसे विशेष बनाता है. सदियों से यहां मां के नौ रूपों की पूजा की जा रही है और मान्यता है कि माता नौसर आज भी ब्रह्मा की नगरी पुष्कर की रक्षा करती हैं.

मां की शक्ति और ब्रह्मा की आराधना
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जब पुष्कर में सृष्टि यज्ञ किया जा रहा था, तो ब्रह्मा ने इस यज्ञ को नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए नवदुर्गा की आराधना की थी. तभी से यहां मां के नौ स्वरूप विराजमान हैं, और भक्तों के लिए यह स्थान सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर को कई समाज की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है, और विशेष रूप से नवरात्र के समय यहां भक्तों का मेला लगता है.

चौहान वंश और सम्राट पृथ्वीराज की आराधना
इतिहास के पन्नों में यह भी दर्ज है कि 11वीं शताब्दी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी से युद्ध से पहले इस मंदिर में आकर माता की आराधना की थी. राजकवि चंद्रवरदाई के साथ मिलकर उन्होंने यहां विजयश्री की कामना की थी.

मुगल काल में औरंगजेब का प्रयास असफल
मंदिर के पुजारी के अनुसार, मुगल शासक औरंगजेब ने जब देश भर के हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने का अभियान चलाया था, तब उसने इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन वह असफल रहा, और उसकी सेना माता के नौ स्वरूपों वाली प्रतिमा को कोई क्षति नहीं पहुंचा पाई.

कैसे पहुंचे नौसर माता मंदिर?
नौसर माता मंदिर अजमेर से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। पुष्कर में ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं और भवन उपलब्ध हैं, और दिनभर वाहनों की सुविधा भी रहती है. भक्त यहां आकर मां के नौ स्वरूपों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

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