अपना अस्तित्व बचा पाएगी निषाद पार्टी, टिकट तो मिला लेकिन ‘कमल’ के निशान पर
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उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने छोटे दलों को शामिल करते हुए बड़ा राजनीतिक खेल खेला है. बीजेपी ने एनडीए में कई दलों को शामिल तो किया है, लेकिन उनके नेताओं को बीजेपी से टिकट दिया है. इससे पार्टी ने एक तीर से दो शिकार किए हैं- दलों को यह संतुष्टि मिल गई कि उनके नेता को टिकट दिया गया है, और बीजेपी को यह फायदा होगा कि उस दल का नेता बीजेपी का नेता माना जाएगा. इसकी ताजा मिसाल निषाद पार्टी के साथ देखने को मिली है.
उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद को वह तो मिल गया, जो वह चाहते थे, लेकिन जैसा वह चाहते थे, वैसा नहीं मिला. उनके बेटे प्रवीण निषाद को बीजेपी ने संत कबीर नगर से लगातार दूसरी दफा चुनावी मैदान में उतारा है. बीजेपी ने निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद को भी भदोही से बीजेपी उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, बीजेपी ने संजय निषाद की पार्टी को अपना चुनाव चिह्न नहीं दिया है.
संजय निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी के लिए एक वकील का होना अनिवार्य है. प्रवीण निषाद सांसद हैं, लेकिन वह बीजेपी से हैं. जबकि भाजपा ने घोसी लोकसभा सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) को दी है और अपना दल के लिए दो सीटें रखी हैं. लेकिन निषाद पार्टी को कुछ नहीं दिया है.
दिलचस्प बात यह है कि जहां संजय निषाद को 2021 में भाजपा द्वारा विधान परिषद के लिए नामांकित किया गया और बाद में मंत्री बनाया गया. वहीं, उनके बेटे प्रवाण निषाद ने 2018 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उपचुनाव में गोरखपुर लोकसभा सीट जीती.
2019 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा करने के बाद निषाद पार्टी इससे बाहर हो गई और भाजपा के साथ चली गई, जिसके टिकट पर प्रवीण ने उसी वर्ष संत कबीर नगर सीट जीती. उनके छोटे बेटे श्रवण निषाद 2022 में बीजेपी के टिकट पर चौरी चौरा से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए. इसलिए तकनीकी तौर पर अपने दोनों बेटों के बीजेपी में होने के कारण संजय निषाद बीजेपी से अपनी हिस्सेदारी मांगने की स्थिति में नहीं हैं.
भाजपा ने अपने सहयोगियों के लिए पांच सीटें छोड़ी हैं – राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और अपना दल (एस) के लिए दो-दो और एसबीएसपी के लिए एक.
56 वर्षीय संजय निषाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण मिशन और शक्ति मूर्ति महासंग्राम जैसे संगठनों की स्थापना से की और फिर निषाद एकता परिषद का गठन किया. उन्होंने 2013 में निषाद पार्टी की स्थापना की और 2017 में भदुरिया के ज्ञानपुर से विधायक बने.
विनोद कुमार बिंद
चंदौली के रहने वाले डॉ. विनोद कुमार बिंद मिर्जापुर जिले की मझवां सीट से विधायक हैं. उन्होंने एमबीबीएस और एमएस ऑर्थो की तालीम हासिल की है. डॉ. बिंद का मुगलसराय में एक बड़ा हॉस्पिटल भी है. समाजवादी पार्टी से उन्होंने राजनीतिक जीवन की शरूआत की थी.
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FIRST PUBLISHED : April 12, 2024, 14:02 IST
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