दुनिया के कई जानवर पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड को महसूस कर सकते हैं. इसका उपयोग वे आवागमन के लिए करते हैं. उनके लिए यह एक तरह का जीपीएस सिस्टम होता है. इस क्षमता का उपयोक केवल प्रवासी जानवर ही नहीं करते हैं बल्कि उनके साथ प्रवासी पक्षी भी करते हैं. नए अध्ययन में पता चला है क प्रवासी पक्षियों में मैग्नेटिक जानकारी को संसाधित करने या नजरअंदाज करने की क्षमता होता है. वे बिलकुल किसी उसका ऐसे उपयोग कर सकते हैं जैसे हम स्विच से कोई उपकरण ऑन ऑफ करते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
कनाडा की वेस्टर्न ओन्टारियो यूनिवर्सिटी और अमेरिका की बोलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पक्षियों के दिमाग के एक खास हिस्से का अध्ययन किया जिसे क्लस्टर एन कहते हैं. पक्षी क्लस्टर एन का उपयोग कर ही मैग्नेटिक फील्ड की पहचान करते हैं और उसे संसाधित करते है. यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि पक्षियों में क्लस्टर एन तभी सक्रिय होता है जब वे प्रवासन के लिए प्रेरित होते हैं और फिर अपने मैग्नेटिक दिशासूचक यंत्र का उपयोग करते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
पिछले अध्ययनों ने खुलासा किया था कि हो सकता है कि पक्षी चुंबकीय तौर से संवेदनशील प्रोटीन का उपयोग करते होंगे जिन्हें क्रिप्टोक्रोम्स कहते हैं और ये प्रोटीन उनकी रेटीना में होते हैं जिससे वे चुम्बकीय संकेत समझते हैं और लंबी दूरी के लिए प्रवासन के लिए उनका उपयोग कर पाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
मनोविज्ञान की पीएचडी उम्मीदवार मेडिलीन ब्रोडबेक की अगुआई में टीम में सफेद गले वाली गौरैया का अध्ययन किया और पाया कि वे रात को क्ल्सटर एन सक्रिय कर सकते हैं और दिन में आराम करते समय बंद कर सकते हैं. उन्हंने बताया कि दिमाग के यह क्षेत्र भूचुंबकीय दिशा सूचक यंत्र को सक्रिय करने लिए अहम होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
चुम्बकीय क्षेत्र जो कि पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों, खास तौर से आंतरिक क्रोड़ में पिघले हुए लोहे के बहाव से पैदा होती है, अंतरिक्ष तक में अपने प्रभाव का विस्तार करती है. लेकिन यह इंसान को दिखाई नहीं देती है. लेकिन कुछ जानवरों के दिमाग में ऐसी प्रणाली होती है जिससे वे इसका पता लगा सकेत हैं जब वे लंबी यात्रा पर होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
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