अयोध्या में भी है रियासतों का भवन, कहीं आस्था के मंदिर तो कहीं खंडहर में हुआ तब्दील



3054883 HYP 0 FEATUREIMG 20230610 15394087 अयोध्या में भी है रियासतों का भवन, कहीं आस्था के मंदिर तो कहीं खंडहर में हुआ तब्दील

सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. देश की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में उभरी अयोध्या नगरी उत्तर मध्य काल में कभी राजाओं के रियासतो की राजधानी के रूप में भी जानी जाती थी. एक सर्वे की मानें तो अयोध्या में 60 से ज्यादा रियासतों के भवन मौजूद है. मान्यता है कि राजा महाराजा अयोध्या दौरे के दौरान इन्हीं भवनों में ठहरा करते थे. राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद अयोध्या नगरी तो बदल रही है. लेकिन राम नगरी में मौजूद इन रियासतों के ज्यादातर भवन जर्जर हो चुके हैं. कुछ भवन जो की आस्था के केंद्र हैं वहां दर्शन पूजन हो रहा है. जबकि ज्यादातर देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुके हैं.

500 वर्षों बाद राम नगरी में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण तो जरूर शुरू हो गया है. लेकिन तमाम रियासतों के जर्जर मंदिर और खंडहरों तब्दील भवन की सुधि लेने वाला कोई नही है. आधुनिक अयोध्या के निर्माण में इन पौराणिक मान्यताओं की पहचान प्राचीन अयोध्या को सजोये रखने के लिए सरकार को विशेष प्रयास करने की जरूरत है.

रघुवर शरण 10 सालों से कर रहे है रिसर्च
अयोध्या में लगभग 10 वर्षों से राजा महाराजा के भवनों पर रिसर्च करने वाले रघुवर शरण बताते हैं कि सर्वे के दरमियान उन्हें यह पता चला कि 16वी और 18वी शताब्दी में भी धर्म नगरी अयोध्या आस्था का केंद्र रही. इतना ही नहीं हिंदू धर्म से जुड़े अनेक राजाओं के मठ-मंदिर भवन और धर्मशाला आज भी उसके गवाह है. उन्होंने बताया कि अभी तक 60 ऐसे भवन राजा-महाराजाओं के आज भी स्थित हैं. जो कहीं आस्था में तब्दील हो गए हैं तो कहीं देखरेख के अभाव में जर्जर हो गए हैं. इसमें कुछ भवन ऐसे भी हैं जो आस्था के रूप में तब्दील हो गए हैं. जैसे कनक भवन इस भवन की स्थापना टीकमगढ़ की राजकुमारी रिजभान कुंवर ने कराई थी. लेकिन यह भी कहा जाता है महारानी केकई यह भवन माता सीता को मुंह दिखाई की रस्म में दिया था. लेकिन काल के लंबे कालखंड के बीतने के बाद सैकड़ों वर्ष पूर्व इसका जीर्णोद्धार टीकमगढ़ की महारानी राजकुमारी रिजवान कुंवर ने कराया था.

व्यवधान आ जाने के कारण अधूरा है सर्वे
रघुवर शरण बताते हैं कि अयोध्या में रियासतों द्वारा मंदिर स्थापित करने को लेकर एक कारण और भी है. वैसे तो अयोध्या प्राचीन काल से ही आस्था का केंद्र रही रियासतों ने अपने अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अयोध्या में मठ मंदिर और धर्मशाला बनवा कर किया. शायद यही वजह है कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व धर्म नगरी अयोध्या से हो रहा था. हालाकी रघुवर शरण बताते हैं कि सर्वे अभी पूरा नहीं हो सका कुछ व्यवधान आ जाने के कारण अधूरा है.

अयोध्या में स्थित रियासतों के भवन
प्राचीन सबसे प्रसिद्ध कनक भवन मंदिर टीकमगढ़ ओरक्षा स्टेट, तो वहीं अहिल्याबाई देवी मंदिर महारानी होलकर ने बनवाया, इसके अलावा छोटी देवकाली मंदिर के पास ग्वालियर स्टेट का भवन स्थित है. नयाघाट पर कुल्लू स्टेट का भवन तो बिहार के अमावां स्टेट का अमावां मंदिर स्थित है. बाबू बाजार स्थित नरहर स्टेट का मंदिर तो पाली स्टेट का पालिका मंदिर इतना ही नहीं राजादेहरा सुल्तानपुर स्टेट का भवन भी इसी अयोध्या में स्थित है तो दूसरी तरफ मनकापुर स्टेट का मंदिर और राजमहल, बांसी स्टेट का मंदिर, ऋण मोचन घाट क्षेत्र स्थित कंचन भवन, जानकीघाट स्थित रींवा स्टेट का मंदिर, बुंदेलखंड क्षेत्र का हजारा स्टेट का एक हजारा मंदिर, बहराइच रियासत का मंदिर,बौडी रियासत का मंदिर स्थित है.

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FIRST PUBLISHED : June 10, 2023, 23:38 IST



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