आज लगाई ये फसल, तो अगले महीने से होने लगेगी लाखों की कमाई, कृषि वैज्ञानिक से जानें फॉर्मूला


सत्यम कटियार /फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर सब्जियों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, खासकर तोरई की अगैती फसलों की ओर. तोरई, जिसे नगदी फसल माना जाता है, की खेती किसान बड़ी मात्रा में कर रहे हैं क्योंकि यह कम समय में तैयार होती है और बाजार में महंगे दामों पर बिकती है. तोरई की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो रही है, जिसमें उन्नत किस्मों के प्रयोग से बंपर पैदावार मिलती है.

कृषि वैज्ञानिक ने तैयार की उन्नत किस्में
कृषि वैज्ञानिक राहुल पाल ने फर्रुखाबाद के कमालगंज के श्रंगीरामपुर में पाली हाउस में तोरई की उन्नत किस्में तैयार की हैं. उनके अनुसार, एक महीने में ही नर्सरी से पौधे तैयार हो जाते हैं और खेतों में रोपाई के एक महीने के भीतर तोरई की फसल आने लगती है. इस उन्नत किस्म की तोरई में रोगों का खतरा भी कम रहता है, जिससे किसानों को लागत में भी कमी आती है. इससे किसान अधिक मुनाफा कमा रहे हैं, क्योंकि बाजार में तोरई की शुरुआती कीमत 60 से 80 रुपये प्रति किलो होती है.

तोरई की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और तापमान
तोरई की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु आदर्श मानी जाती है. इसका सही तापमान 25 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. मिट्टी के पीएच मान की बात करें तो यह 6.5 से 7.5 के बीच सही होता है. इस प्रकार की परिस्थितियों में तोरई की फसल बेहतर होती है और अच्छी पैदावार देती है.

तोरई की खेती की विधि
तोरई की खेती के लिए पहले खेत की जुताई कर उसे समतल किया जाता है. इसके बाद 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी x 30 सेमी आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं, जिनमें तोरई की पौध रोपी जाती है. पौधे रोपने के बाद समय पर सिंचाई और गुड़ाई की जाती है. तोरई की फसल लगभग एक महीने में तैयार हो जाती है और तुड़ाई के लिए उपयुक्त होती है.

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