आयुर्वेद, यूनानी और होम्‍योपैथी पर होंगे रिसर्च, डाबर के साथ ये यूनिवर्सिटी भी देगी CCRAS का साथ


ट्रेडिशनल मेडिसिन को रिसर्च के बाद लोगों तक पहुंचाने के लिए आयुष मंत्रालय लगातार कोशिशें कर रहा है. अब मॉडर्न साइंस की दवाओं की तरह आयुर्वेद, होम्‍योपैथी, यूनानी, सिद्धा आदि चिकित्‍सा पद्धतियों में मरीजों के इलाज के लिए इस्‍तेमाल की जाने वाली दवाओं को भी पूरे रिसर्च के बाद तैयार किया जाएगा. इसमें आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एक शीर्ष स्वायत्त संगठन, केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (CCRAS) ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय और भारत की एक प्रमुख आयुर्वेदिक कंपनी डाबर इंडिया के साथ समझौते किए हैं.

अपनी तरह की पहली परामर्श बैठक में भारत में पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) के विविध क्षेत्रों के प्रतिनिधि एक साथ आए, जिनमें नीति निर्माता, शैक्षणिक संस्थान, शोधकर्ता, रोगी और उद्योग जगत के हितधारक शामिल थे. इसका उद्देश्य आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी जैसी विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रमुख अनुसंधान क्षेत्रों की पहचान करना और उन्हें प्राथमिकता देना है. बता दें कि डब्‍ल्‍यूएचओ भी परंपरागत चिकित्‍सा सेवाओं में रिसर्च को प्राथमिकता दे रहा है.

आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने कहा कि इसका उद्देश्य धन का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना और पारंपरिक चिकित्सा के अंतर्गत जरूरत के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ना है. जिसमें औषधीय पौधों पर शोध, गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता का अध्ययन, पूर्व-नैदानिक ​​सत्यापन, पारंपरिक दवाओं का तर्कसंगत उपयोग, नैदानिक ​​परीक्षण निगरानी, ​​चिकित्सा नृविज्ञान और प्राचीन चिकित्सा साहित्य का डिजिटलीकरण शामिल है. इसके अलावा इस तरह इसकी वैश्विक स्वीकृति और एकीकरण का समर्थन करना है.

वहीं केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. (वैद्य) रबीनारायण आचार्य ने कहा, ‘हम अगले दशक के लिए एक शोध रूपरेखा तैयार करना चाहते थे और पारंपरिक चिकित्सा में एक दशक लंबी शोध रणनीति की नींव रखना चाहते थे और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के साथ प्रयासों को संयोजित करना चाहते थे. डाबर और श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के साथ ये दो समझौता ज्ञापन इस दिशा में एक अच्छी शुरुआत है.

इसी के साथ श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, हरियाणा के कुलपति प्रो. करतार सिंह धीमान ने कहा कि दोनों पक्ष अकादमिक और अनुसंधान सहयोग के लिए मार्ग को बढ़ावा देने पर विचार करेंगे जो केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) वैज्ञानिकों की पीएचडी अध्ययन के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को कार्यशालाओं, संगोष्ठियों के माध्यम से विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करता है.



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