इंटरमिटेंट फास्टिंग 2 बीमारियों के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद ! नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा


New Study on Intermittent fasting: डायबिटीज और हार्ट डिजीज के मरीजों को खाने-पीने में बेहद सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. इन दोनों ही बीमारियों में डाइट को लेकर गलती करना बेहद खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज के मरीजों को अक्सर फास्टिंग न करने की सलाह दी जाती है, लेकिन एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर कंट्रोल हो सकता है. इस स्टडी के अनुसार अपने खाने को प्रतिदिन 10 घंटे की अवधि तक सीमित रखने से ब्लड शुगर लेवल में काफी सुधार आ सकता है. एक निश्चित समय में खाना और बाकी समय फास्टिंग करना ही इंटरमिटेंट फास्टिंग है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो और अमेरिका में साल्क इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स द्वारा की गई स्टडी में बताया गया है कि अपने दो वक्त के खाने के बीच 10 घंटे का अंतर रखने से डायबिटीज और हार्ट डिजीज को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. इंटरमिटेंट फास्टिंग का यह तरीका आपके मेटाबॉलिक सिंड्रोम को मैनेज करने में भी मदद कर सकता है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जो हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डायबिटीज की वजह बन सकती है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग का यह तरीका उन लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, जो मेटाबोलिक सिंड्रोम को कंट्रोल करना चाहते हैं और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम करना चाहते हैं. साल्क इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर सच्चिदानंद पांडा ने बताया कि दिन का समय ह्यूमन बॉडी में शुगर और फैट के प्रोसेसिंग में अहम भूमिका निभाता है. जब लोग अपने खाने के समय को सीमित करते हैं, तो वे शरीर के नेचुरल इंटेलिजेंस को फिर से एक्टिव करते हैं और मेटाबॉलिज्म को बहाल करने के लिए अपनी सर्कैडियन रिदम का उपयोग करते हैं.

स्टडी करने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिन में 10 घंटे के गैप में खाना खाने वाली रुटीन लोगों को शरीर का वजन कम करने, उचित बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को सही बनाए रखने और पेट की चर्बी को करने में मदद कर सकता है. अब तक इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर कई रिसर्च की जा चुकी हैं और इसे वेट लॉस में भी कारगर माना गया है. हालांकि कई एक्सपर्ट लोगों को इस फास्टिंग की सलाह नहीं देते हैं.

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