इकलौता मंदिर… जहां सिर्फ पुरुष करते हैं गरबा! परंपरा में बदलाव के लिए तैयार नहीं महिलाएं, जानें क्यों


खरगोन. नवरात्रि में जब पूरे खरगोन में महिलाएं गरबा करती नजर आ रही हैं, वहीं बाकी माता मंदिर में एक ऐसी परंपरा जारी है, जो इस दौर में भी सवाल खड़े करती है. यह संभवतः विश्व का अकेला मंदिर है, जहां सिर्फ पुरुष गरबा करते हैं, जबकि महिलाएं दूर बैठकर इसे देखने को मजबूर हैं. यह परंपरा 200 साल पुरानी है और आज भी किसी बदलाव की आहट तक यहां नहीं पहुंची है.

लोकल 18 की टीम ने जब मंदिर समिति और महिलाओं से बात की, तो पता चला कि करीब 300 साल पुराने इस मंदिर में पुरुषों द्वारा गरबा करने की परंपरा 200 साल पहले शुरू हुई थी. मंदिर से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि समय के साथ त्योहार मनाने के तरीके बदले, लेकिन इस परंपरा में बदलाव नहीं हुआ. यहां सात पारंपरिक गुजराती गीतों पर ही गरबा होता है और महिलाएं गीत गाने में साथ देती हैं, लेकिन गरबा में शामिल नहीं हो सकतीं.

क्या बदलाव जरूरी है?
दीपिका परसाई, जो इस मंदिर से वर्षों से जुड़ी हैं, लोकल 18 को बताया कि पहले महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थीं, तब पांच पुरुषों ने इस परंपरा की शुरुआत की थी. अब गरबा करने वालों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन परंपरा वही है. हमें लगता है कि जब परंपरा अच्छी हो, तो उसे बदलने की जरूरत नहीं होती. प्रिया खोड़े कहती हैं कि यह मंदिर अपनी इसी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. पूरी दुनिया में शायद यही एकमात्र मंदिर है, जहां पुरुष गरबा करते हैं.  इसलिए, इसे बनाए रखना चाहिए.

महिलाओं की प्रतिक्रिया
सारिका परसाई, मीनाक्षी और अन्य महिलाएं कहती हैं कि उन्हें इस परंपरा से कोई आपत्ति नहीं है. शहर में कई जगहों पर महिलाएं गरबा कर सकती हैं और यहां मंदिर में भी पूर्णिमा के दिन महिलाएं गरबा करती हैं. इसलिए, इस परंपरा में बदलाव की कोई जरूरत नहीं लगती. वह मानती हैं कि बुजुर्गों द्वारा बनाई गई परंपराओं में बदलाव करने से उनकी पवित्रता कम हो सकती है.

Tags: Local18, Navratri Celebration, Public Opinion



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