इसी को तो भेड़चाल कहा गया है! पहले 500 लोग लगाते थे SME का IPO, आज सवा 2 लाख की भीड़


हाइलाइट्स

वित्त वर्ष 2021 में SME IPO के लिए आवेदन करने वालों का एवरेज 511 था.वित्त वर्ष 2025 में यह संख्या बढ़कर प्रति IPO औसतन 2,19,000 हो गई है.कुछेक में तो रिटेल निवेशकों का हिस्सा 1000 गुना से अधिक ओवरसब्सक्राइब हुआ है.

नई दिल्ली. सबको यह भरोसा हो चुका है कि शेयर बाजार में अच्छा पैसा बन सकता है. यदि इंट्राडे और शेयर खरीदकर नहीं कमा सकते, तो कम से कम आईपीओ लगातार तो पैसा छापा ही जा सकता है. आम या कहें कि रिटेल निवेशकों की सोच कुछ ऐसी ही हो चली है. आईपीओ निकल आया तो पौ-बारह, और नहीं मिला तो अपनी जेब से कुछ नहीं गया. यह बात अलग है कि कई आईपीओ तो ऐसे फटे हैं कि निवेशकों की पूंजी तक साफ कर डाली. न्यू ऐज़ टेक कंपनियों के आईपीओ ऐसे ही थे. पेटीएम उसका एक उदाहरण है. फिर भी रिटेल निवेशक लगातार IPO मार्केट की तरफ खिंचे चले जा रहे हैं. यह आंकड़ा तो कम से कम इसी बात पर मुहर लगाता है.

छोटे और मंझोले उद्यमों (स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज), जिन्हें SME भी कहा जाता है, के आईपीओ पहले हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) का खेल माने जाते थे. लेकिन अब इस क्षेत्र में आम रिटेल निवेशक भी बढ-चढ़कर कूद रहे हैं. रिटेल निवेशक इन शेयरों में निवेश करके तगड़ा मुनाफा कमाने की संभावना से आकर्षित हो रहे हैं, खासकर जब ये शेयर पहली बार स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं.

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ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन हाई रिस्क वाले शेयरों को पाने हेतु आवेदन करने वाले लोगों की संख्या हाल के वर्षों में आसमान छू रही है. वित्त वर्ष 2020 में, औसतन केवल 408 लोगों ने प्रत्येक SME IPO के लिए आवेदन किया था, जो वित्त वर्ष 2021 में थोड़ा बढ़कर 511 हो गया. हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2025 में यह संख्या बढ़कर प्रति IPO औसतन 2,19,000 हो गई है, जो बेहद चौंकाने वाला आंकड़ा है.

जोखिम तो है ही, साथ ही इसके लिए बोली लगाने के लिए कम से कम सवा लाख रुपये के की आवश्यकता होती है. इसके बावजूद रिटेल निवेशक पीछे नहीं हट रहे हैं. वित्त वर्ष 2025 में लिस्टिंग मूल्य पर औसतन 76% का लाभ देखा गया, जिसमें होआक फूड्स इंडिया, मेडिकामेन ऑर्गेनिक्स, कोरा फाइन डायमंड ज्वेलरी, और मैक्सपोशर जैसे IPOs में रिटेल निवेशकों का हिस्सा 1000 गुना से अधिक ओवरसब्सक्राइब हो गया.

जैसे-जैसे लाभ बढ़ा, वैसे-वैसे एप्लीकेंट भी बढ़े
FY23 में रिटेल निवेशकों का यह रुझान तेजी से बढ़ा, जब कुछ IPOs में लिस्टिंग पर अच्छा मुनाफा देखने को मिला. FY22 में, औसतन 6,042 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें लिस्टिंग पर औसतन 19% का मुनाफा देखा गया. यह गति FY23 में भी जारी रही, जब औसतन 31,500 आवेदन और 29% का लिस्टिंग मुनाफा दर्ज किया गया. FY24 में तो और भी बेहतरीन आंकड़े सामने आए, जहां लिस्टिंग पर औसतन 50% से अधिक का लाभ मिला और प्रति IPO आवेदन की संख्या 1,13,000 तक पहुंच गई.

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प्राइम डेटाबेस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्डिया इसका कारण बुलिश बाजार को मानते हैं. उनका कहना है, “बुलिश बाजार में निवेशक सभी IPOs में निवेश करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लिस्टिंग पर लाभ की संभावना अधिक नजर आती है.” इसके अलावा, ट्रेडिंग ऐप्स के माध्यम से निवेश में आसानी भी इसमें महत्वपूर्ण है, जहां कुछ टैप करके ही निवेश हो सकता है और निवेशकों का पैसा आवंटन तक उनके बैंक खाते में ही रहता है.

सेबी ने कसी लगाम, विशेषज्ञों को डर
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने SME सेगमेंट में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में निवेश को लेकर एक चेतावनी जारी की है. यह चेतावनी SME IPOs के चारों ओर बढ़ती दीवानगी को देखते हुए आई है. सेबी का कहना है कि कुछ SME कंपनियां और उनके प्रमोटर अपनी एक्टिविटीज को लेकर गलत पॉजिटिव तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं और फिर इस दीवानगी का फायदा उठाकर अपने शेयर बेच रहे हैं.

इसी वजह से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने जुलाई की शुरुआत में SME IPOs के लिए लिस्टिंग के दौरान विशेष प्री-ओपन सत्र में 90% की ऊपरी सीमा लागू की थी. मतलब ये कि कोई भी शेयर पहले दिन इससे अधिक रिटर्न नहीं दे सकता. यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस साल लगभग 60 आईपीओ 90% से 400% के मुनाफे के साथ लिस्ट हुए हैं.

मार्केट विशेषज्ञों ने रिटेल निवेशकों को इस मामले में सतर्कता बरतने की सलाह दी है. हल्डिया ने कहा, “चिंता की बात यह है कि आज कई रिटेल निवेशक अपेक्षाकृत नए हैं, जिन्होंने पिछले 3-4 वर्षों में अपने डिमैट खाते खोले हैं. इसलिए, उन्होंने बड़े बाजार करेक्शन (गिरावट) या बड़ी धोखाधड़ी का अनुभव नहीं किया है, जिससे वे अधिक जोखिम में पड़ सकते हैं.”

क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

कंपनी की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें: SME कंपनियों की वित्तीय स्थिति की जांच करें, जैसे उनकी बैलेंस शीट, लाभ और हानि का लेखा-जोखा, और नकदी प्रवाह. अगर कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत नहीं है, तो उसका भविष्य में सफल होना मुश्किल हो सकता है.

बाजार में कंपनी की प्रतिष्ठा और बिजनेस मॉडल समझें: कंपनी का बिजनेस मॉडल और इंडस्ट्री में उसकी स्थिति को समझें. कंपनी की प्रतिस्पर्धा, उसके उत्पादों और सेवाओं की मांग और इंडस्ट्री की लॉन्ग टर्म संभावनाओं का मूल्यांकन करना आवश्यक है.

सेबी (SEBI) की चेतावनियों को नजरअंदाज न करें: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा SME IPOs को लेकर जारी की गई चेतावनियों को गंभीरता से लें. सेबी ने कुछ मामलों में SME कंपनियों के प्रमोटरों द्वारा भ्रामक जानकारी देने और शेयरों की कीमत बढ़ाने के गलत प्रयासों पर ध्यान देने की सलाह दी है.

न्यूनतम निवेश राशि पर ध्यान दें: SME IPOs में न्यूनतम निवेश राशि आमतौर पर अधिक होती है, जो रिटेल निवेशकों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. इसलिए, अपनी वित्तीय स्थिति और जोखिम उठाने की क्षमता का मूल्यांकन करें.

मूल्यांकन करें कि क्या आप जोखिम उठा सकते हैं: SME IPOs में निवेश हाई रिस्क के साथ आता है, इसलिए अपने जोखिम उठाने की क्षमता का मूल्यांकन करें. अगर आप बाजार में बड़े नुकसान को सहन नहीं कर सकते, तो इस तरह के निवेश से दूर रहना बेहतर हो सकता है.

कंपनी के प्रमोटर और प्रबंधन टीम की जांच करें: कंपनी के प्रमोटरों और प्रबंधन टीम के अनुभव और उनकी साख को चेक कर लें. अगर कंपनी का नेतृत्व मजबूत है, तो उसके सफल होने की संभावना अधिक होती है.

विश्वसनीय सलाहकार से मदद लें: अगर आपको SME IPOs के बारे में संदेह है, तो किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें. उनकी सलाह आपको सही निर्णय लेने में मदद कर सकती है.

Tags: Investment and return, Investment tips, IPO



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