इसे कहते हैं जज्बा….कभी स्कूल की फीस जमा करने के नहीं होते थे पैसे, आज हैं शिक्षा विभाग में अफसर
अंजली शर्मा /कन्नौज. कन्नौज में तैनात जिला विद्यायल निरीक्षक डॉ. पूरन सिंह की सफलता आज सभी के लिए एक नजीर है. इनके पिता बेहद साधारण किसान थे. लेकिन पूरन सिंह के मन में हमेशा से ही कुछ अलग करने की सोच थी. सरकारी विद्यालयों से पढ़ाई की. उनके मनपसंद एक अध्यापक को देखकर उनके मन में उनके जैसे ही कुर्सी तक पहुंचना और पढ़ाने की चाह जागी. जिसके बाद कई बार आर्थिक समस्या उनकी पढ़ाई के आड़े आई, लेकिन पूरन सिंह ने सारी कठिनाईयों का सामना किया और शिक्षक बने. उसके बाद नौकरी करते ही पीसीएस क्वालीफाई किया और जिला विद्यायल निरीक्षक बने.
कहां के रहने वाले और कहां से की पढ़ाई
पूरन सिंह अलीगढ़ जिले के रहने वाले हैं. पूरन सिंह के पिता रहमतपुर गांव में किसानी करते थे. जिनका नाम भिकम्बर सिंह था. पूरन सिंह दो भाई और एक बहन हैं, पूरन सिंह सबसे छोटे हैं. पूरन सिंह की पढ़ाई गांव के ही प्राथमिक विद्यालय रह्मापुर में हुई. कक्षा 1 से लेकर 5 तक पढ़ाई उन्होंने वहीं पर की, वहीं कक्षा 6 से 8 तक सरकारी विद्यालय में रहे, 9वीं और 10वीं की पढ़ाई ग्रामोदय सेवा संस्थान में की 12वीं की पढ़ाई जन कल्याण इंटर कॉलेज से की.
कहां हुई पहली तैनाती
पूरन सिंह की तनाती बतौर प्रवक्ता 1993 में सरकारी विद्यालय गाजियाबाद में हुई. यहां पर उन्होंने 8 साल तक कार्य किया . नौकरी के दौरान ही उन्होंने पीसीएस की भी तैयारी की.
अपनी अलग बनाई दुनिया
पूरन सिंह दोस्तों के साथ रहते भले थे, लेकिन वह अपने आप को थोड़ा सा अलग रखते थे. दोस्तों की तरह घूमना फिरना कॉलेज में जो माहौल होता था, उससे थोड़ा अलग हटके रहते थे. पूरन सिंह हमेशा अपने शिक्षकों को फॉलो करते थे. उनके मन में यही चाहत रही कि वह अपने ही शिक्षक की तरह कुछ ऐसा करें जिससे समाज में उनकी एक अलग पहचान बने. जिसके लिए उन्होंने एसवी डिग्री कालेज से पीएचडी की. उनका पसंदीदा विषय भूगोल था.
कब बने जिला विद्यालय निरीक्षक
पूरन सिंह पीसीएस क्वालीफाई करने के बाद 1.1. 2001 में बतौर जिला विद्यालय निरीक्षक बने. पहली पोस्टिंग उनकी मुजफ्फरनगर में हुई. जिसके बाद बहराइच, लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, बस्ती, आगरा हुई जिसके बाद कन्नौज में वह जिला विद्यालय निरीक्षक हैं.
क्या बोले डॉ. पूरन सिंह
जिला विद्यालय निरीक्षक डॉक्टर पूरन सिंह ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति मन में ठान ले कि उसको यह कर गुजरना है, तो उसको कोई रोक नही सकता है. उसकी राह में कई कठिनाइयां जरूर आयेंगी, लेकिन हार नहीं मानना है. मेरी पढ़ाई के आगे भी आर्थिक समस्या आई, बड़े भाई ने सहयोग किया. दोस्तों के साथ रहा, लेकिन उनके जैसा नहीं बना. अपने शिक्षकों को फॉलो किया. मन में अपने टीचर के प्रति हमेशा सम्मान रहा और उनके ही जैसा बनने की सोच ने आज यहां तक पहुंचा दिया.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 11:49 IST