इस आम के बचे हैं सिर्फ 7 पेड़, अंदर से एकदम लाल, नाम है भरतभोग, इस बाग में लगे हैं विलुप्त होती 16 वैरायटी


बांका. बांका के मैंगोमैन ने फिर कमाल कर दिया. वो विलुप्त प्रजाति के आम को बचाए हुए हैं. इनमें भरतभोग वैरायटी के आम भी शामिल हैं जिसके अब बिहार में सिर्फ 7 पेड़ बचे हैं. मैंगोमैन इनकी देखभाल और बचाने में लगे हुए हैं. देखते हैं क्या है इस आम की खासियत. मैंगोमैन 15 एकड़ में आम की बागवानी कर रहे हैं. इनके बाग में आम्रपाली-मालदा, नीलम जैसी आम की 16 वैरायटी लगी हुई हैं.

फलों के राजा आम की लोकप्रियता दुनियाभर में है. सालभर हम आम के मौसम का इंतजार करते हैं. आम की कोई भी डिश बनाएं चाहें खट्टी हो चाहें मीठी. सबका स्वाद बेमिसाल होता है. भारत में तो आम के दीवानों की कोई कमी नहीं है. मिठास और रस से भरे आम मुंह में जाते ही घुल जाते हैं. अलग-अलग वैरायटी में मिलने वाले आमों की खुशबू और स्वाद की वजह से यह लोगों के सबसे पसंदीदा फलों में से एक है. वैसे तो आम की कई वैरायटी होती हैं लेकिन आज हम एक खास वैरायटी की बात करेंगे. ये बांका के भीखनपुर के एक खेत में हो रहे हैं.

मैंगोमैन के बाग में भरतभोग
बांका के प्रियवर्त शर्मा का बगीचा देखकर ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा. वो अपने बगीचे में विलुप्त हो रहे आम लगाते हैं. उन्होंने 15 एकड़ बाग में आम की 16 वैरायटी लगा रखी हैं. इनमें नीलम, आम्रपाली, मालदा भी शामिल हैं. प्रियवर्त अब अपने इलाके में मैंगोमैन के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं. इनके बाग में भरत भोग वैरायटी के आम हो रहे हैं. ये आकार के साथ स्वाद में भी लाजवाब है. इसकी चर्चा राज भवन तक में हो चुकी है.

भरतभोग का जवाब नहीं
मैंगो मैन प्रियवर्त शर्मा बताते हैं राजभवन में दो दिवसीय बिहार आमोत्सव हुआ. इसमें पूरे बिहार से आम की कई वैरायटी आयी थीं. वो बताते हैं महामहिम राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने उनके लगाए विलुप्त हो रहे हैं भरतभोग आम को देख उसमें दिलचस्पी दिखाई. उसके बारे में बारीकी से जानकारी ली. इस आम का स्वाद भी लिया और अधिकारियों को आम इस प्रजाति को संरक्षित करने का आदेश दिया.

बिहार में बचे हैं सिर्फ 7 पेड़
भरतभोग नाम का यह विलुप्त प्रजाति का आम पूरे बिहार में लगभग समाप्त हो चुका है. लेकिन बांका के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत भीखनपुर गांव में आज भी 200 वर्षों पुरानी इस वैरायटी के सात वृक्ष लगे हैं. इसे बचाना और कलम काट कर नए वृक्ष का निर्माण करना बेहद जरूरी है. तभी आम की ये वैरायटी बच और बढ़ पाएगी. अगर इस प्रजाति के आम को संरक्षित नहीं किया गया तो कुछ दिन में भरतभोग जैसी आम की वैरायटी पूरी तरह विलुप्त हो जाएगी.

बेलनाकार और अंदर से लाल
मैंगो मैन प्रियवर्त शर्मा बताते हैं यह आम वजन में ढाई सौ से 300 ग्राम तक का होता है. छोटे में खट्टा और पकने पर रसीला और बहुत अधिक मीठा होता है. जब ये छोटा रहता है तब देखने में सामान्य आम की तरह होता है. लेकिन जब बड़ा होता है तब बेलनाकार जैसा दिखता है. ऊपर हल्के गाढ़े काले रंग का होता है. काटने पर अंदर गाढ़े लाल रंग का होता है. खाने में रसीला और गूदादार आम है. इसका स्वाद भी लाजवाब है.

Tags: Banka News, Local18



Source link

x