इस किसान के पास है देसी बीजों का भंडार, जिसके लिए मिला जीनोम पुरस्कार, कृषि वैज्ञानिकों ने भी किया सहयोग
लखेश्वर यादव/जांजगीर चांपा:- जांजगीर चांपा जिले में एक ऐसा किसान है जो सभी प्रकार के फल, फूल सब्जी, भाजी, अनाज के बीज को संरक्षित करके रखे हुए है. जिले के बहेराडीह के किसान दीनदयाल यादव ने देसी बीज की संरक्षण और संवर्धन केंद्र बनाकर उसमें 200 प्रकार से भी वैरायटी के देशी बीजों को संरक्षित किया है. जिसके लिए उन्हें दिल्ली में केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रगतिशील किसान के रूप में जिनोम पुरस्कार भी प्रदान किया जा चुका है.
किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि वर्तमान समय में देशी बीज विलुप्त हो रहे हैं. उसकी जगह हाइब्रिड बीज ले रहे है. इसलिए बहेराडीह में देसी बीज को बचाने के लिए एक अभियान चलाया और इसी के तहत देसी बीज का संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है. यहां पर छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों के बीज रखे गए हैं. इसके अलावा यहां पर देसी प्रकार के फल, फूल, सब्जी और धान के सभी प्रकार के बीजों का भी संरक्षण किया गया है. इसके साथ ही धान्य वर्ग के फसलों का भी जिनको सरकार मिलेट्स के रूप में बढ़ावा दिया है उसके बीजों का भी यहां संरक्षण और संवर्धन किया आ रहा है. यहां बीज का संरक्षण के लिए जिले के प्रगतिशील किसान के साथ-साथ इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने भी सहयोग किया है.
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जीनोम पुरस्कार से नवाजा गया
दीनदयाल यादव ने बताया कि बीज को बचाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर के अनुवांशिक वैज्ञानिक डॉ दीपक शर्मा जी की टीम ने भी सहयोग किया है. वहीं, देसी बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए उन्हें दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा जीनोम पुरस्कार से नवाजा गया है. (डेढ़ लाख रुपए की राशि और प्रशस्ति पत्र) यह सम्मान भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रति वर्ष देश के कृषकों को देसी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण, संवर्धन और उन किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है.
देसी बीज को बचाने की मुहिम
उन्होंने बताया कि बहेराडीह के किसान स्कूल में अक्षय तृतीया के अवसर पर बीज महोत्सव मनाया जाता हैं. इस महोत्सव में किसानों को किसी भी फल, फूल, सब्जी, अनाज का बीज दिया जाता है या आदान प्रदान किया जाता है और उस बीज को लगाने के बाद सामने वाला किसान अगले साल इसी अक्षय तृतीया के दिन बीज वापस करता है और दूसरा बीज ले जाता है. इस केंद्र में देसी बीज को बचाने में अलग-अलग जगह के किसान हिस्सा ले रहे हैं और देसी बीज को बचाने में सहयोग कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 15:18 IST