ईस्ट इंडिया कंपनी जिस देश पर नहीं कर सकी कब्जा, अब चीन का गुलाम होने की कगार पर है, भारत से इस देश का है रोटी बेटी का है रिश्ता



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Nepal-China relationship: नेपाल में ओली सरकार के आने के बाद शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट को मानों ऑक्सीजन मिल गई है. नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली ने बीजिंग यात्रा के दौरान BRI फ्रेमवर्क पर भी दस्तखत कर दिए. इस BRI प्रोजेक्ट के तहत 9 बड़ी परियोजानओं पर काम होना है. जबकि नेपाल ने कुल 35 की लिस्ट चीन को सौंपी थी. BRI से पहले से भी कई प्रोजेक्ट नेपाल में जारी है. चीन उन्हें फंड कर रही है, काम भी जारी है. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने उसी में एक प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए नेपाल से वर्किंग वीजा की मांग की है. यहस्याब्रुबेसी-रसुवागाधी रोड को अपग्रेड करने का काम कोरोना के बाद से बंद पड़ा है. इस पर काम फिर से शुरू होने जा रहा है. चीन की तिब्बत टिनालु कंपनी लिमिटेड ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपने 24 इंजीनियर और अन्य निर्माण से जुड़े लोगों की वर्किंग वीजा की मांग की है. इसी साल मई में भी चीन के 20 इंजीनियर की टीम नेपाल के दैलेख में तेल प्रकृति गैस की खोज के लिए पहुंची थी. जितने भी प्रोजेक्ट चीन की सहायता से बनाए जा रहे हैं उन सभी में चीनी स्किल्ड वर्कर के जरिए ही करवा रहा है. यह सब बिलकुल वैसे ही हो रहा है जैसा पाकिस्तान में चाइना पाकिस्तान इकॉनेमिक कॉरेडोर की शुरुआत में हुआ था.

चीन की महंगी दोस्ती
चीन के तिब्बत टिनालु कंपनी लिमिटेड कंपनी को साल 2019 में इस रोड को ठीक करने का कांट्रेक्ट दिया गया था. 2020 में कोरोना के चलते काम बंद हो गया. इस 16 किलोमीटर की सड़क को डबल लेन ऑल वेदर रोड में अपग्रेड करना था. नेपाल में आए भूकंप के बाद यह सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी. चीनी कंपनी ने नेपाल सरकार को 39 महीने में इस काम को खत्म करने का भारोसा दिया था. इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए उसे अपने इंजीनियर की जरूरत है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 450 करोड़ रुपये है. नेपाल और चीन के बीच 2016 में हुए 1570 करोड़ रुपये के द्विपक्षीय सहायता समझौते के फंड से होगी. इसी तरह के कई प्रोजेक्ट नेपाल में चल रहे हैं जहां चीन का पैसा लगा हुआ है. BRI के तहत और पैसा लगने वाला है. चीन के कर्जदार देशों की लंबी फेहरिस्त है. पाकिस्तान पर 3 हज़ार करोड डॉलर , 6 बिलियन डॉलर बांग्लादेश पर , 8.9 बिलियन डॉलर श्रीलंका पर कर्ज है. अब बारी नेपाल की है. नेपाल का पोखरा एयरपोर्ट भी चीन से लिए 215 मिलियन डॉलर के लोन पर बनाया गया है.

काठमांडू चाइना डायरेक्ट
नेपाल चीन के बीच कुल 14 बॉर्डर क्रासिंग प्वाइंट है. इन क्रॉसिंग से दोनों देशों के बीच व्यापार होता है. रसुवागाधी में चीन नेपाल फ्रेंडशिप ब्रिज है. यह हाइवे सीधा काठमांडू को तिब्बत को जोड़ता है. पसांग ल्हामू हाईवे नेपाल की राजधानी काठमांडू से चीन के कब्जे वाले तिब्बत तक पहुंचने वाला सबसे छोटा हाईवे है. इसे नेशनल हाइवे 18 भी कहा जाता है. इसी हाईवे स्याब्रुबेसी से रसुवागाधी बॉर्डर क्रॉसिंग तक जाने के लिए सड़क को अपग्रेड करने के लिए चीनी कंपनियों को अपने इंजीनियर चाहिए.

नेपाल में चीन का बढ़ता दखल भारत के लिये चिंता
नेपाल की सेना चीन के साथ साझा अभ्यास करती है. भारतीय सेना में नेपाली गुराखा को भर्ती के लिए नहीं भेजती है. नेपाल में आए भूकंप के दौरान नेपाल सरकार का भारत की मदद से ज्यादा तरजीह चीन को देना. चीन के बहकावे में लीपूलेख की भारतीय सडक पर विवाद खड़ा करवाना. उत्तराखंड के कुछ इलाको को अपने नए नक़्शे में दिखाते हुए सदन से पास भी करवा देना. चीन ने नेपाल में वन विलेज वन फ्रेंड अभियान की शुरुआत की, चाईना स्टडी सैंटर को नेपाल में एक्टिव किया. चीन ने नेपाल में डिजिटल वॉलेट अलीपे को लॉंच किया. अलीपे और वीचैट ने डिजिटल पेमेंट के लिए आधिकारिक मंज़ूरी दी. नेपाल के लोगों के मन में चीन के लिए अच्छी छवी बनाने के लिए है तो मीडिया मैनेज करना भी शुरू कर दिया. यह सब चीन की साजिश है भारत नेपाल के बीच दूरी बनाने की.

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