एक रॉकेट और वर्ल्ड वॉर शुरू? इसकी रेंज ने दुनिया को डरा दिया है, यूक्रेन ने की भूल तो US को हिला देंगे पुतिन!
वॉशिंगटन. डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद ये बात तय है कि जो बाइडन को व्हाइट हाउस ख़ाली करना होगा, लेकिन बाइडन ने रूस के ख़िलाफ़ एक ऐसे फ़ैसले पर मुहर लगा दी है, जिससे वर्ल्ड वॉर का ख़तरा मंडराने लगा है. अगले 24 घंटे के अंदर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जो क़दम उठाएंगे. उसपर पूरी दुनिया की नज़र होगी. दरअसल, जो बाइडन ने यूक्रेन को रूस पर हमला करने के लिए अमेरिका द्वारा दी गई लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी दे दी है.
इसका मतलब यह है कि अब यूक्रेन रूस के खिलाफ आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइल का इस्तेमाल कर सकेगा और इसी रॉकेट की रेंज ने दुनिया को डरा दिया है क्योंकि अटैकम मिसाइल को इस्तेमाल करने का मतलब है वर्ल्ड वॉर… और यही रॉकेट है… जो अब अमेरिका और रूस के बीच विश्व युद्ध के ख़तरे को भड़का सकता है.
इस रॉकेट की ज़्यादा रेंज ने वर्ल्ड वॉर के ख़तरे वाला मीटर टॉप पर पहुंचा दिया है और ये बात बाइडन भी अच्छी तरह से जानते हैं. ऐसे में पुतिन के तेवर तो बहुत ख़तरनाक हो चुके हैं. इस रॉकेट ATACMS की वजह से विश्व युद्ध का सबसे नया सायरन बजना शुरू हो गया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लंबे समय से इस मिसाइल का इस्तेमाल करने की इजाजत मांग रहे थे, जिसे अब बाइडन ने हरी झंडी दिखा दी है.
ATACMS कराएगा वर्ल्ड वॉर?
इसी रॉकेट पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने वाइट हाउस छोड़ने से पहले बहुत बड़ा फ़ैसला कर लिया है, जो वादा बाइडन ने यूक्रेन जाकर ज़ेलेंस्की से किया था और अब बाइडन ने वो वादा निभा लिया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा, “मैंने सहयोगियों से यूक्रेन को मज़बूत करने की योजना पर बात की है. हमारी सेना लंबी दूरी के हथियार चाहती है. आज ऐसे हथियारों को इस्तेमाल करने की इजाज़त पर बात हो रही है, लेकिन हमले शब्दों से नहीं किये जाते, मिसाइलें इसका जवाब ख़ुद देंगी, यूक्रेन ज़िंदाबाद.”
ज़ेलेंस्की ATACMS को लेकर इतना ज़्यादा ख़ुश क्यों हैं? क्यों रूस को इससे बहुत ज़्यादा ख़तरा हो गया है? कुछ आंकड़ों से समझें…
अटैकम रॉकेट की रेंज 300 किलोमीटर से ज़्यादा है. इस रॉकेट के ज़रिये ज़ेलेंस्की रूस के अंदर तक कई शहरों और रूस के मिलिट्री टारगेट्स को ख़त्म कर पाएंगे, जिसमें एयरबेस भी होंगे, मिलिट्री हेडक्वार्टर भी होंगे और न्यूक्लियर ठिकाने भी होंगे.
ऐसा हुआ तो पुतिन चुप बैठने वाले नहीं. वह इसका जवाब देंगे और फिर जवाबी हमला अमेरिका के न्यूक्लियर अड्डों पर हो सकता है. इसीलिये अमेरिका को याद दिलाया जा रहा है कि 5 जून को सेंट पीटर्सबर्ग में व्लादिमिर पुतिन ने क्या कहा था. उन्होंने कहा था, “पश्चिमी देशों को लगता है कि रूस कभी अपने (परमाणु हथियार) का इस्तेमाल नहीं करेगा. परमाणु हथियारों को लेकर हमारी एक नीति है जो कहती है कि अगर हमारी संप्रभुता और सीमाओं को ख़तरा हुआ तो हम हर वो हथियार इस्तेमाल करेंगे जो हमारे पास है.”
अटैकम वाली रिपोर्ट को लेकर वॉशिंटगन डीसी से मॉस्को तक बहुत हलचल है. व्हाइट हाउस से लेकर क्रेमलिन तक एक दूसरे को तिरछी निगाहों से देखा जा रहा है. अमेरिका और रूस के बीच भरोसे का लेवल ऑल टाइम लो कहा जा सकता है. क्योंकि बड़ी ख़बर ये है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को रूस के अंदर लंबी दूरी के हथियारों से हमले की मंज़ूरी दे दी है. जे़लेंस्की इसकी इजाज़त बार-बार मांगते रहे हैं.
रूस पहले ही कह चुका है कि अगर अटैकम या अमेरिका से मिले लंबी दूरी के किसी और हथियार से रूस के अंदर हमला हुआ, तो रूस इसका जवाब देगा. इसकी शुरुआत वो यूक्रेन को अमेरिका से मिले अटैकम रॉकेट और मिसाइल…और उसके गोदाम को तबाह करके करेगा…और फिर ख़तरा यूक्रेन के बाहर भी होगा.
व्लादिमिर पुतिन ने 24 अक्टूबर, 2024 को रूस के कजान में कहा था, “ये बात सेना पर लागू होगी, आधुनिक हथियारों पर लागू होगी जिसमें ATACMS, स्टॉर्म शैडो जैसी मिसाइलें भी शामिल हैं. यूक्रेन बिना पश्चिमी देशों की मदद के अंतरिक्ष से हमारी टोह नहीं ले सकता, ना ही लक्ष्य निर्धारित कर सकता है. ये मदद उसे NATO से ही मिल सकती है.”
अमेरिका का F-16 युद्ध में उतरने के साथ ही फ़ेल हो गया, लेकिन अब अटैकम जैसे लॉन्ग रेंज वाले हथियार का इस्तेमाल हुआ तो क्या होगा? अगर इस रॉकेट से रूस के अंदर तबाही मचाई गई, तो बाइडन बहुत ज़्यादा पछताएंगे. ये पुतिन का बाइडन और पूरे नाटो को बहुत ही ख़तरनाक और युद्ध का दायरा बड़ा करने वाला मेसेज है. इसकी टाइमिंग समझने की ज़रूरत है. पुतिन का देश रूस बहुत ग़ुस्से में है. रूस की मीडिया में बताया जा रहा है कि कैसे बाइडन ने व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले तीसरे विश्व युद्ध भड़काने के फ़ैसले पर मुहर लगा दी है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ यूक्रेन को रूस में लंबी दूरी के ATACMS रॉकेट का इस्तेमाल करने की इजाज़त देना बाइडन का बहुत ही ख़तरनाक फ़ैसला है. अमेरिका के कई नेता पहले ही कह चुके हैं कि डेमोक्रेट व्हाइट हाउस ख़ाली करने से पहले तीसरा विश्व युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं. नाटो और रूस की अब सीधी टक्कर पक्की हो चुकी है. इसका लाइसेंस अमेरिका दे रहा है और यही नज़रिया अब पूरे रूस में फैल चुका है.
रूसी मीडिया ने क्या कहा?
पश्चिमी देशों की मीडिया में अमेरिका की लंबी दूरी की मिसाइलों से रूस में संभावित हमलों को लेकर कई ख़बरें हैं. रूस के अंदर तक हमले की इजाज़त देने का बाइडन का फ़ैसला कुर्स्क को नज़र में रखकर लिया गया है. वो युद्ध को ख़ुद भड़काने का काम कर रहे हैं. कीव पर लगातार हमले हो रहे हैं. ख़ारकीव पर क़ब्ज़ा करने के लिये पुतिन तैयार बैठे हैं. ओदेसा में भी मिसाइल हमले हो रहे हैं. पोक्रस्क से पोलतावा तक पुतिन के टारगेट पर यूक्रेन के नये-नये शहर आ चुके हैं. जो अब तक रूस की बमबारी का निशाना नहीं थे.
लेकिन बाइडन तो हथियारों की शक्ल में ज़ेलेंस्की पर डॉलर की बारिश कर रहे हैं. अब तक यूक्रेन के युद्ध पर अमेरिका 56 बिलियन डॉलर की मदद कर चुका है. यानी क़रीब पौने पांच लाख करोड़ रुपये यूक्रेन पर ख़र्च किये जा चुके हैं. धमाकों के बीच ज़ेलेंस्की को बार-बार लिफ़्ट कराने को कोशिश जारी है. ज़ाहिर है कि अब ज़ेलेंस्की को पुतिन की फ़ौज से लड़ने के लिये फिर से नई पावर मिलने वाली है. अटैकम वाक़ई ऐसी लॉन्ग रेंज वाली फ़ायरपावर है. जो अगर टारगेट पर लगी, तो पुतिन अमेरिका और नाटो को मिट्टी में मिला देंगे, इसकी वॉर्निंग पुतिन दे चुके हैं.
अमेरिका के पूर्व राजनयिक इयान कैली ने कहा, “अटलांटिक के दोनों किनारों पर ऐसी उम्मीद है कि हमें इस पर कूटनीतिक रूप से जुड़ना होगा. अगर ऐसा होता है तो आपको अपनी शर्तें मंज़ूर कराने के लिए सैन्य रूप से मज़बूत होना पड़ेगा.
फ़िलहाल पुतिन सबकुछ सामान्य दिखाना चाहते हैं. पुतिन जानते हैं कि यूक्रेन का युद्ध लड़ना अब अमेरिका के बस की बात नहीं रही. मुमकिन ये भी है कि बाइडन जाते-जाते ट्रंप के लिये बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी करना चाहते हों क्योंकि ट्रंप तो पहले ही कह चुके हैं कि शपथ लेने के साथ ही यूक्रेन का युद्ध उनके एजेंडे पर होगा. यानी आउटगोइंग प्रेसिडेंट बाइडन अब युद्ध में गेमचेंजर बनने की जगह गेमब्रेकर बनना चाहते हैं, लेकिन इसकी वजह से वो पूरी दुनिया को विश्व युद्ध के कुएं में धकेलने की ग़लती कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 18, 2024, 23:50 IST