एमपी के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व का आज पहला बर्थडे, 49 साल पहले गांव से शुरू हुआ था सफर


सागर: बाघों से गुलजार मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा नौरादेही टाइगर रिजर्व (वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व) 20 सितंबर को अपना पहला बर्थडे मना रहा है. यहां का हैबिटेट वन्य प्राणियों/पक्षियों को काफी रास आ रहा है. इसकी वजह से यहां पर चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, काले हिरण, भेड़िया से लेकर बाघों तक की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है.

एक तरह से विलुप्त हो चुके गिद्धों की संख्या में भी कई गुना वृद्धि हुई है. यही वजह है कि अब दिन पर दिन यहां के वन्य प्राणी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं. जंगल सफारी के दौरान टाइगर से लेकर कई दुर्लभ प्राणी टूरिस्ट को नजर आने लगे हैं. दूसरा यहां की घास-पेड़ वनस्पति भी लोगों को अलग ही अनुभूति देती है.

1975 से शुरुआत
दरअसल साल 1975 में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अभ्यारण का गठन एक छोटे से गांव नौरादेही के नाम पर किया गया था. मुख्य रूप से यहां भेड़ियों को संरक्षित करने के लिए सेंचुरी तैयार की गई थी. लेकिन, 2008 तक यहां पर बाघ पाए जाने के भी प्रमाण मिलते हैं. एक दशक तक बाघ विहीन होने के बाद यहां पर दूसरे टाइगर रिजर्व से बाघिन राधा और बाघ किशन की जोड़ी को लाया गया था. 2018 से 2024 तक 6 साल में इनकी संख्या 2 से बढ़कर 19 पर पहुंच गई. इसमें केवल टेरिटरी के संघर्ष को लेकर हुई एक बाघ की मौत को छोड़ दें तो कभी कोई बुरी खबर सामने नहीं आई. 2300 वर्ग किलोमीटर में फैले रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में 35 तरह की घास, 250 प्रकार के पक्षी भी हैं. 20 सितंबर 2023 में इसका वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में घोषणा की गई थी.

कई गांव विस्थापित
अभ्यारण से टाइगर रिजर्व बनने के बाद यह एरिया बफर जोन और कोर जोन में बांट दिया गया है. 1 साल के दौरान आधा दर्जन से अधिक गांव को विस्थापित किया गया, जो जगह खाली हुई, वहां पर नई घास को तैयार किया गया, ताकि शाकाहारी प्राणियों की संख्या बढ़े और फूड चेन सर्कल चलता रहे. बड़े जानवरों को अपनी भूख मिटाने जंगल से बाहर न जाना पड़े.

ये लोग आमंत्रित
टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी ने बताया कि 20 सितंबर को टाइगर रिजर्व में प्रथम स्थापना दिवस पर आसपास के गांव के सरपंच, ग्रामीण जनप्रतिनिधि, टाइगर रिजर्व में रहे पुराने रिटायर हो चुके रेंजर, एसडीओपी वन कर्मियों को बुलाया जा रहा है. इसको और बेहतर करने के लिए उनसे सुझाव मांगे जाएंगे. क्योंकि टाइगर रिजर्व केवल वन विभाग का नहीं हम सभी का है.

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