ऐसे करें मिर्च की खेती, छू नहीं पाएगी कोई बीमारी, बंपर होगा उत्पादन…मालामाल होंगे किसान


खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन में खरीब सीजन में कपास के बाद सबसे ज्यादा लाल तीखी मिर्च की खेती होती है. जिले में 48 हजार हेक्टेयर में लाल तीखी मिर्च की खेती होती है. यहां एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मिर्च मंडी भी बेडिया में मौजूद है. जुलाई में बारिश के बाद खेती में रोपाई होती है. लेकिन, फसलों पर पर्ण कुंचन रोग लग जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है. परंतु, किसान उद्यानिकी विभाग के द्वारा बताई प्रक्रिया का पालन करते हैं, तो मिर्च सहित अन्य फसलों को भी बीमारी छू नहीं पाएगी.

गर्मी में किसान इन बातों का रखें ख्याल
लोकल 18 से बातचीत में उप संचालक केके निगवाल ने बताया की इसके लिए जरूरी ही कि किसान भाई ग्रीष्मकाल में खेत की गहरी जुताई अवश्य करवाएं. मेंढ़े साफ-सुथरी रखे. खेत के आसपास पुराने विषाणु ग्रसित मिर्च, टमाटर, पपीते के पौधों को नष्ट कर दें. खेतों में अधिक वर्षा की स्थिति में पानी निकास की उचित व्यवस्था रखें. मिट्टी परीक्षण के अनुसार संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें.

पौध की खेत में रोपाई कैसे करे
नर्सरी में पौधे 35 दिन की आयु के होने पर खेत में रोपण करें. फसल को रस चसकू कीटों से बचाव के लिए रोपाई के पहले पौध को इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक पौध की जड़ों को डुबाने के बाद खेत में रोपाई करें. मिर्च के खेतों के आसपास ज्वार, मक्का की दो-तीन कतारे लगाना भी लाभदायक होती है. खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधों को उखाड़कर गढ्ढे में डालकर बंद करें.

खड़ी फसल को रोग से बचाएं
उप संचालक ने बताया कि रोग के प्रसार को रोकने के लिए रोगग्रस्त पौधों को देखते ही खेत से उखाड़कर नष्ट करें. खेत में सफेद मक्खी की निगरानी के लिए पीले प्रपंच (चिपचिपे कार्ड) 10 प्रति एकड़ लगाना चाहिए. मिर्च में रोपाई के 30 से 35 दिन बाद नीम बीज गिरी सत (एनएसकेई) 5 प्रतिशत या नीम तेल 3000 पीपीएम 3 मिली प्रति लीटर पानी पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करें.

सफेद मक्खी का नियंत्रण
मिर्च में लीफ कर्ल रोग वाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पायरी प्रोक्सीफैल 10 प्रतिशत ईसी 200 मिली प्रति एकड 120 लीटर पानी या फेनप्रोपेचिन 30 प्रतिशत ईसी 100 से 136 मिली प्रति एकड़ 300 से 400 पानी या पायरी प्रॉक्सीफैन 5 प्रतिशत प्लस फेनप्रोपचिन 15 प्रतिशत ईसी 200 से 300 मिली प्रति एकड़ 200 से 300 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें. कीटनाशकों का 14 दिन के अंतराल पर अदल बदल कर छिडकाव करें. कीटनाशकों का छिड़काव फल बनने की अवस्था तक ही करें एवं एक ही कीटनाशक का बार बार उपयोग नहीं करें.

Tags: Agriculture, Latest hindi news, Local18, Mp news



Source link

x