ओडिशा रेल हादसा: लावारिस पड़े हैं 83 शव, अब SIM कार्ड के जरिये पहचान करने में जुटी सरकार



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नई दिल्ली. ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार देर शाम हुए भीषण रेल हादसे में मारे गए 288 लोगों में से 83 शवों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है. अब रेलवे इन लावारिस लाशों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाली वेबसाइट और सिम कार्ड ट्राइएंगुलेशन का इस्तेमाल करने जा रही है.

रेलवे ने शुरू में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की एक टीम को मृतकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उनके अंगूठे के निशान लेने के लिए घटनास्थल पर बुलाया था. एक अधिकारी ने कहा, ‘यह काम नहीं कर सका क्योंकि ज्यादातर मामलों में अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई थी और उनके निशान लेना मुश्किल हो चुका था. तब हमने एआई-आधारित पोर्टल संचार साथी का उपयोग करके शवों की पहचान करने के बारे में सोचा.’

अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में लॉन्च किए गए संचार साथी वेब पोर्टल का इस्तेमाल 64 शवों की पहचान करने के लिए किया गया था और यह 45 मामलों में सफल रहा.

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संचार साथी ग्राहकों को उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शनों को जानने की अनुमति देता है और उनके खोए हुए स्मार्टफोन को ट्रैक और ब्लॉक भी करता है. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित पोर्टल हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था, जिनके पास सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी है.

अधिकारियों ने बताया, ट्रेन हादसे के पीड़ितों के शवों की पहचान करने के लिए पोर्टल ने पीड़ितों के फोन नंबरों और आधार डीटेल्स को उनकी तस्वीरों का उपयोग करके पता लगाया. इसके बाद, उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया.’

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हालांकि, यह एक मुश्किल काम है क्योंकि इनमें से कई शवों का पहचान पाना मुश्किल हो चुका है. एक अधिकारी ने कहा, ‘कुछ की पहचान करने योग्य विशेषताएं नहीं बची हैं. उन्हें उनके कपड़ों से भी पहचानना मुश्किल है, क्योंकि वे खून से सने हुए हैं.’

ऐसे में रेल अधिकारी दुर्घटनास्थल के आसपास सेलफोन निशानों का उपयोग करके कुछ शवों की पहचान करने की उम्मीद कर रहे हैं. हादसे से ठीक पहले ट्रेन जिन सेलफोन टावरों के पास से गुजरी वहां पर एक्टिव फोन और फिर दुर्घटना के समय तुरंत बंद होने वालों फोन नंबर से उनका मिलान करके रेलवे यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या वे अज्ञात पीड़ितों के हैं.’

एक अधिकारी ने कहा, ‘अब तक हम इस तरीके से जिन 45 लावारिस शवों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, उनमें से 15 फोन ऐसे मिले जो बंद थे, लेकिन जीवित बचे लोगों के थे. ऐसे में हम अब अन्य 30 का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.’

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