कर्ज पर चल रहा सारा करोबार, कभी किया था आधी दुनिया पर राज, आज कर्ज के जाल में फंसा ये देश


नई दिल्ली. किसी व्यक्ति पर उसके वेतन के बराबर कर्ज हो जाना बुरा लेकिन किसी देश का ऐसी स्थिति में फंस जाना गंभीर चिंता का विषय है. कुछ देशों को अगर छोड़ दिया जाए तो लगभग हर देश पर आपको कुछ न कुछ कर्ज मिल जाएगा. आमतौर पर समझा जाता है कि जिन देशों पर कर्ज है वह गरीब देश होंगे क्योंकि उनके पास अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है. इसका ताजा उदाहरण है यूनाइटेड किंगडम (UK). इस देश का कर्ज इसकी जीडीपी का 100 फीसदी हो गया है. इसमें सार्वजनिक बैंकों द्वारा लिया कर्ज शामिल नहीं है.

एक देश एक साल में जितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन अपनी राष्ट्रीय सीमा के अंदर करता है उसकी कुल वैल्यू को जीडीपी कहा जाता है. मतलब देश के कुल प्रोडक्शन जितना है उतना ही इस पर कर्ज भी हो गया है. सरकार ने अगस्त में £13.7 बिलियन का कर्ज लिया जो पिछले साल की तुलना में £3.3 बिलियन अधिक है. यह 1961 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है. ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) के आकंड़ों के सरकार का कर्ज बढ़ा है और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस भी गिर गया है.

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ब्रिटेन की सत्ताधारी लेबर पार्टी का कहना है कि कंजर्वेटिव्स ने देश को जिस आर्थिक स्थिति में छोड़ा उसकी वजह से कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ सकते हैं. संभव है कि ब्रिटेन की सरकार 30 अक्टूबर को पेश होने वाले बजट टैक्स में बढ़ोतरी और वेलफेयर बेनिफिट्स में कटौती करे. लेबर पार्टी के मुख्य सचिव डैरेन जोन्स ने कहा है कि ये आंकड़े कंजर्वेटिव्स द्वारा छोड़ी गई चुनौतीपूर्ण स्थिति को दर्शाते हैं, जो अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए कठिन निर्णय लेने पर मजबूर करेंगे.

इन विकसित देशों पर भी भारी कर्ज
ब्रिटेन इकलौता विकसित देश नहीं है जो भारी कर्ज के बोझ तले दब गया हो. इस सूची में जापान शीर्ष पर है. इस एशियाई देश पर इसकी जीडीपी का 250 परसेंट कर्ज है. यूएस पर भी उसकी जीडीपी के मुकाबले 122 फीसदी कर्ज है. ग्रीस, सिंगापुर और इटली कुछ और ऐसे देश हैं जिन पर उनकी जीडीपी के मुकाबले 100 फीसदी से ज्यादा का कर्ज है. इसके अलावा चीन जैसे अग्रणी विकासशील देश पर उसकी जीडीपी का 87.4 फीसदी कर्ज है.

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