कहां से शुरू हुई थी बड़े मंगल पर्व की शुरुआत? अयोध्या के महंत से जानें सच
अयोध्या: आज से ज्येष्ठ माह का बड़ा मंगल शुरू हो गया है. ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है और इनमें विशेष रूप से राम भक्त हनुमान की पूजा की जाती है. ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है. ज्येष्ठ माह में चार मंगल पड़ेंगे. पहला बड़ा मंगल आज यानी 28 मई को दूसरा बड़ा मंगल 4 जून को तीसरा बड़ा मंगल 11 जून को चौथा और अंतिम बड़ा मंगल 18 जून को होगा. ज्येष्ठ के बड़े मंगल का महत्व पौराणिक कथाओं में नहीं मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं बड़े मंगल की शुरुआत कहां से हुई तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं .
बताया जाता है कि लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने बड़े मंगल की शुरुआत की थी. उनका परिवार हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त था. नवाब वाजिद अली शाह ने अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में भंडारा कराया था. इसके बाद उनकी बेगम ने इस परंपरा को जारी रखा और फिर लखनऊ से होते हुए उत्तर प्रदेश फिर पूरे देश में ज्येष्ठ के बड़े मंगल का महत्व बढ़ता गया.
क्या है बुढ़वा मंगल की कहानी?
अयोध्या के सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के महंत रामदास अनुसार अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, हर संभव प्रयास के बाद भी जब उनका बेटा ठीक नहीं होता तो कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह की बेगम को लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगने को कहा. लोगों के कहे अनुसार उन्होंने ऐसा ही किया जिसके थोड़े दिन बाद बेटे की तबीयत में सुधार होने लगाबेटे की तबीयत सही होने की खुशी में अवध के नवाब और उनकी बेगम ने अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई, जिसका कार्य ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ था. इसके बाद पूरे लखनऊ में गुड़ और प्रसाद बांटा गया. तब से बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में जलपान कराने, भंडारा कराने और प्रसाद बांटना शुरू हुआ. ऐसा कहा जाता है कि तभी से यहां हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन होता है.
FIRST PUBLISHED : May 28, 2024, 20:14 IST