किरोड़ीलाल मीणा का ‘बाल हठ’, नड्डा से मुलाकात के बाद भी अडिग हैं इस्तीफे पर, जानें क्या है अंदरखाने की बात?


हाइलाइट्स

किरोड़ीलाल सबसे ज्यादा आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके हैंसरकार में अफसरशाही के हावी होने से भी किरोड़ीलाल नाराज हैं

जयपुर. राजस्थान बीजेपी के खांटी नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के मंत्री पद से इस्तीफे से पार्टी उलझन में है. किरोड़ीलाल को मनाने की कोशिशें जारी हैं. लेकिन वे इस्तीफे को लेकर अड़े हैं. फिलहाल उनके रवैये में कोई बदलाव आता दिखाई नहीं दे रहा है. दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से किरोड़ीलाल की मुलाकात के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि किरोड़ी जिद छोड़ेंगे और इस्तीफा वापस लेंगे. लेकिन सियासी गलियारों में उनके इस्तीफे के कारणों को लेकर बहस छिड़ी है और इसके कई कारण गिनाए जा रहे हैं.

भजनलाल सरकार के मंत्री से लेकर विधायक तक कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले किरोड़ीलाल मीणा से लौट आने की गुहार कर रहे हैं. लेकिन वे अपने फैसले से फिलहाल टस से मस होने को तैयार नहीं है. किरोड़ीलाल पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर इस्तीफे के कारणों की विस्तार से जानकारी दे चुके हैं. बकौल मीणा जेपी नड्डा ने उनको दस दिन बाद फिर मिलने के बुलाया है. राजनीति के जानकारों के अनुसार किरोड़ीलाल के इस्तीफे की वजह केवल उनके इलाके में लोकसभा चुनाव में हुई हार नहीं बल्कि दूसरे कारण भी हैं.

सत्ता और संगठन किरोड़ीलाल के मामले को लेकर पूरी सतर्कता बरत रहा है
किरोड़ीलाल जब दिल्ली में थे तो जयपुर में भजनलाल सरकार के मंत्री उनके रूख में नरमी का इंतजार कर रहे थे. संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल से लेकर झाबर सिंह खर्रा, संजय शर्मा और जवाहर बेढम तक किरोड़ी से इस्तीफा वापस लेकर काम पर लौट आने की गुहार करते दिखाई दिए. राजस्थान की सत्ता और संगठन किरोड़ीलाल के मामले को लेकर पूरी सतर्कता बरत रहा है. संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने तो यहां तक कहा कि पार्टी हित में किरोड़ीलाल को सरकार बने रहना चाहिए. उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तभी सफल होगी जब वो सरकार का हिस्सा रहेंगे.

आखिर किरोड़ी की नाराजगी की वजह क्या है?
किरोड़ीलाल की नाराजगी भजनलाल सरकार के बनने के साथ ही शुरू हो गई थी. किरोड़ी से जूनियर नेताओं को उनसे ज्यादा महत्वपूर्ण महकमें दे दिए गए. सूत्रों के मुताबिक किरोड़ीलाल को यकीन था कि उन्हें सरकार में कम से कम डिप्टी सीएम बनाया जायेगा या फिर पावरफुल महकमें का मंत्री. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. विभागों के बंटवारे से किरोड़ी नाराज हो गए. पंचायतीराज और ग्रामीण विकास महकमे को किरोड़ी और मदन दिलावर में बांट दिया गया. दोनों ही मंत्रियों में कई बार ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर तनातनी तक की खबरें सुर्खियों में रही हैं.

अपने नजदीकी अफसरों की पोस्टिंग चाहते थे
किरोड़ीलाल दौसा और सवाई माधोपुर में अपने नजदीकी अफसरों की पोस्टिंग चाहते थे. सूत्रों के मुताबिक किरोड़ी ने कुछ अफसरों की डिजायर भी की थी लेकिन सीएमओ में तैनात अफसर उनके नजदीकी अधिकारियों की मनचाही पोस्टिंग की राह में रोड़ा बन गए. सीएम के सामने किरोड़ी इसकी खुलकर नाराजगी भी जता चुके हैं. सरकार में अफसरशाही के हावी होने का मुद्दा भी किरोड़ी सीएम के सामने रख चुके हैं. जानकारों के मुताबिक इसके साथ ही किरोड़ीलाल दौसा लोकसभा सीट से अपने भाई जगमोहन के लिए टिकट चाहते थे. लेकिन पार्टी ने उनकी राय को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.

पूर्वी राजस्थान में बीजेपी बुरी तरह से हारी
लोकसभा चुनाव में पीएम नरेन्द्र मोदी ने किरोड़ीलाल को पूर्वी राजस्थान समेत प्रदेश की सात लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी थी. पूर्वी राजस्थान में प्रचार के दौरान ही किरोड़ीलाल को लग गया कि पार्टी की हालत खस्ता है तो उन्होंने लोगों के बीच साफ साफ कहना शुरू कर दिया था कि अगर पार्टी एक भी सीट हारी तो वो इस्तीफा दे देंगे. पार्टी दौसा, टोंक-सवाई माधोपुर, भरतपुर और धौलपुर-करौली की सीटें बुरी तरह हार गई. नतीजे के तत्काल बाद किरोड़ी ने ट्वीट किया कि ‘प्राण जाये पर वचन न जाई’.

किरोड़ीलाल जिद के पक्के हैं
किरोड़ीलाल भजनलाल सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में शुमार है. वे सबसे ज्यादा आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके हैं. वे जिद के पक्के हैं. सरकारी बंदिशें उन्हें कम ही रास आती है. मंत्री बनने के बावजूद जब उनकी सिफारिशों को सरकार में तरजीह नहीं मिलती दिखी तो किरोड़ीलाल परेशान हो गए. आंदोलनों के दम पर सरकारों को झुकाने की आदत रखने वाले किरोड़ीलाल के लिए मंत्री बनने के बाद अपनी ही सरकार पर हमला बोलना संभव नहीं था.

बाबा का सरकार से मोहभंग हो गया है
इसलिए उन्हें लगा कि मंत्री पद की सुख सुविधाओं से बेहतर तो वो आजादी है जिसमें वे अपने विचार खुलकर प्रकट कर सके. इसलिए अब बाबा का सरकार से मोहभंग है. इस्तीफा सीएम को भेज चुके हैं. दिल्ली दरबार में अपनी बात कह दी है. जयपुर में उनके साथी मंत्री उनसे बार बार एक ही अपील कर रहे हैं कि आपका सरकार में बने रहना जरूरी है. आपके अनुभवों की सरकार को दरकार है.

सरकार किरोड़ीलाल की मान मनोव्वल में जुटी है
बहरहाल किरोड़ीलाल के इस्तीफे से सरकार दुविधा की स्थिति में है. एक तरफ सरकार किरोड़ीलाल की मान मनोव्वल में जुटी है तो दूसरी तरफ उनकी ओर से उठाये गये मुद्दों को भी गंभीरता से लेने के संकेत दिखाई पड़ रहे हैं. हालात को संभालने के लिए बीजेपी हो सकता है उनके भाई जगमोहन को दौसा सीट से उपचुनाव का टिकट भी ऑफर कर दे. विधानसभा में विपक्ष सत्तापक्ष पर खासा हमलावर है. ऐसे में किरोड़ीलाल के इस्तीफे के मामले का सरकार जल्द पटाक्षेप कर उनको मुख्यधारा में लाने की कवायद में जुटी है ताकि भविष्य में उसे कोई सियासी नुकसान ना उठाना पड़े.

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