किस मुंह से धमकी दे रहा है पाकिस्तान, शहबाज शरीफ क्या UN में भीख मांग रहे थे? लगता है पड़ोसी अपनी औकात भूल गया


नई दिल्ली. पाकिस्तान से जिसकी उम्मीद थी, उसने वही किया. हद तो तब हो गई, जब पीएम शहबाज शरीफ ने भारत को धमकी दे डाली. सोचिए भला, एक ऐसा देश जो पूरी तरह से किसी दूसरे मुल्क के हाथों गिरवी पड़ा है, आतंकवाद और राजनीति के चक्कर में जनता पिस रही है, वो संयुक्त राष्ट्र के मंच पर उस भारत को धमकी देने की हिमाकत कर रहा है, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है. पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपना भाषण दे रहे थे, तो ऐसा लगा कि वो दुनिया के सामने मदद की भीख मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कब्जा करने के लिए भारत ‘जंग’ की तैयारी में जुटा है. शहबाज शरीफ ने यूएनजीएम में आर्टिकल-370 और कश्मीर का मुद्दा भी उठाया.

कश्मीर मुद्दे को उठाने के कोशिश में ग्लोबल लेवल पर अलग-थलग पड़ चुके शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को यूएनजीए में अपने उग्र भाषण में भारत पर ‘सीमित युद्ध’ की तैयारी का आरोप लगाते हुए निर्णायक जवाब देने की गीदड़भभकी दी. शरीफ ने दावा किया कि भारत एक औचक हमला और परमाणु हमले के तहत सीमित युद्ध की तैयारी कर रहा है ताकि वह पाकिस्तान के कब्जे में मौजूद कश्मीर के हिस्से पर कब्जा कर सके. उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के कहानी की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए काल्पनिक खतरे की बात कही. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान किसी भी भारतीय हमले का सबसे निर्णायक तरीके से जवाब देगा.”

पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध समेत तीन युद्ध की विभीषिका को देखते हुए यह अशुभ संकेत है. शरीफ ने जोर देकर कहा कि “भारत ने बिना सोचे-समझे पाकिस्तान के पारस्परिक, रणनीतिक, संयमित शासन के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है” और “इसके नेतृत्व ने अक्सर नियंत्रण रेखा पार करने” और उसके कब्जे वाले क्षेत्रों पर कब्जा करने की धमकी दी है. शरीफ ने बातचीत शुरू करने के लिए अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के संबंध में किए गए बदलावों को रद्द करने की शर्त रखी. दूसरी ओर, भारत बातचीत शुरू करने से पहले चाहता है कि पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे.

शरीफ ने कहा, “स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत को 5 अगस्त 2019 से उठाए गए एकतरफा और अवैध उपायों को वापस लेना चाहिए तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार जम्मू-कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए.” हालांकि, वास्तव में, 21 अप्रैल 1948 को अपनाए गए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 के अनुसार, पाकिस्तान सरकार को सबसे पहले जम्मू-कश्मीर से अपने सभी सैनिकों और घुसपैठियों को वापस बुलाना होगा. उस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि इस्लामाबाद कश्मीर में हमले जारी रखने वाले आतंकवादियों को धन या हथियार नहीं देगा, जिसे पाकिस्तान नजरअंदाज करता है.

अब तक बोलने वाले विश्व नेताओं में से किसी ने भी कश्मीर का जिक्र तक नहीं किया है – यहां तक कि तुर्की ने भी नहीं, जिसने पिछले साल एक मामूली संदर्भ दिया था. खुद को अलग-थलग पड़ते देख शरीफ ने कश्मीर मुद्दे को फिलिस्तीन से जोड़ने की कोशिश की, जिस पर पूरी दुनिया का ध्यान है.

उन्होंने कहा, “फिलिस्तीन के लोगों की तरह जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए एक सदी तक संघर्ष किया है.” शरीफ ने कश्मीर में तैनात “90,000” भारतीय सैनिकों के बारे में भी बात की. उन्होंने आरोप लगाया कि वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश की जा रही है.

Tags: Article 370, Narendra modi, Shehbaz Sharif, United Nations General Assembly



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