कुंडली में बुध और राहु की युति शुभ या अशुभ, जातक के जीवन पर कैसा होता है असर, जानेंगे 12 भाव के अलग-अलग फल



BUDH RAHU कुंडली में बुध और राहु की युति शुभ या अशुभ, जातक के जीवन पर कैसा होता है असर, जानेंगे 12 भाव के अलग-अलग फल

हाइलाइट्स

विभिन्न भावो में जड़त्व योग अशुभ ही परिणाम देता है.
इस योग पर दृष्टि होने से राहत की अपेक्षा की जा सकती है.

Combination of Mercury and Rahu : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई भी दो ग्रह एक ही राशि या एक ही भाव में विराजमान होते हैं तो इस प्रक्रिया को उन ग्रहों की युति कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में जब अशुभ ग्रह राहु या केतु किसी शुभ ग्रह के साथ युति करता है तो कई शुभ अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं. यदि बुध और राहु की युति हो तो जडत्व योग का निर्माण होता है. इस योग से जातक चालाक बनता है. यदि इस युति पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक अनेक भाषाओं का ज्ञाता होता है, और बड़ी ही चालाकी से अपने कार्यो को सफल कर लेता है. जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य विनोद सोनी पोद्दार से कि जब राहु बुध के साथ युति करता है तो क्या असर दिखाई देता है. साथ ही जानेंगे 12 भाव के अलग-अलग प्रभाव के बारे में. बुध और राहु की युति का असर

1:-प्रथम भाव में हो तो शारीरिक कष्ट देता है शरीर या चेहरा बिगड़ जाता है. बुद्धि सही से कार्य नहीं करती. 2:-धन भाव यानी दूसरे भाव में होने से धन हानि, विवेक में कमी, दाहिने नेत्र में पीड़ा देता है.
3:-तीसरे भाव में हो तो भाई बहन के सुख से वंचित करता है. लक्ष्य भी प्राप्त नहीं करने देता है.
4:-चतुर्थ भाव में होने से दुःख होता है, पशु नहीं पालने देता, ह्रदय को कमजोर कर देता अर्थात साहसी नहीं रहने देता. एश्वर्य में कमी और अपयश फैलाता है.
5:-पांचवें भाव में यह योग शिक्षा में विघ्न देता है, संतान की हानि करता है. यांत्रिक या तांत्रिक विधा में निपुणता बनाता है, गर्भधारण शक्ति को कम करता है.
6:-छटवें भाव में बनता है तो लाइलाज बीमारी देता है, चोरी, संसार्गिक रोग, मामा पक्ष से कस्ट देता है.
7:-सातवें भाव में जीवन साथी से मतभेद देता है, काम और कला में हानि करता है. गुप्त रोग का शिकार करता है, मुत्रासय में विकार पैदा कर सकता है
8:-आठवें भाव में होतो वो व्यक्ति रिश्वत लेने या देने के काम करता है, ससुराल से लाभ उठाता है, आत्मघातक भी हो सकता है.
9:-नवें भाव में ये युति जातक को नास्तिक बनाता है, जल यात्रा के दौरान हानि प्राप्त कराता है, संपन्न तो बनाता है किन्तु उदारता, दान, धर्म, से दूर करता है.
10:-दसवें भाव में होने से जातक नीतिगत फैसले लेने मे अपने आपको असफल पाता है. दयालु भाव होने के बाद भी कष्ट पाता है. अपने अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाता.
11:-ग्याहरवें भाव में अनावश्यक खर्च देता है, लॉटरी वाले कार्य से हानि प्राप्त कराता है. मित्रों से धोखा मिलता है, किन्तु आकस्मिक धन लाभ प्राप्त कराता है.
12:-बाहरवें भाव में ये युति शैय्या सुख में कमी देता है, नेत्र में कष्ट, दुराचारी, धन बरबाद करने की प्रवृति देता है.

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इस प्रकार विभिन्न भावो में जड़त्व योग अशुभ ही परिणाम देता है. परन्तु गुरु के इस योग पर दृष्टि होने से राहत की अपेक्षा की जा सकती है. यदि बुध अस्त न हो और बुध केन्द्रेश या त्रिकोणेश हो कर केन्द्र या त्रिकोण पर जड़त्व योग बनाएं तो ये योग राजयोग कारक होता है और जातक बड़ी चालाकी से अपने समस्त कार्यो को संपादित करता हुआ सफलता के शिखर पर पहंच जाता है. यदि गुरु का सपोर्ट मिला तो सोने पर सुहागा हो जाता है.



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