केजरीवाल को मिला DMK का साथ, स्‍टालिन बोले- अध्यादेश का कड़ा विरोध करेंगे, संकट उत्पन्न कर रहा केंद्र


नई दिल्‍ली. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को चेन्‍नई में तमिलनाडु के अपने समकक्ष एमके स्टालिन से मिले. इस दौरान उन्‍होंने केंद्र सरकार द्वारा दिल्‍ली में उन्‍हें काम करने से रोकने का आरोप लगाते हुए समर्थन मांगा. तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री ने भी केजरीवाल को अपना दोस्‍त बनाया. साथ ही कहा कि केंद्र द्वारा दिल्‍ली के अधिकार छीनने के संदर्भ में लाए जा रहे अध्‍यादेश का वो संसद में विरोध करेंगे.

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख स्टालिन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्र आम आदमी पार्टी (आप) के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है और विधिवत चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक रहा है. आप सरकार के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद केंद्र अध्यादेश लाया है. द्रमुक इसका कड़ा विरोध करेगी.’’ इस दौरान स्टालिन के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे. स्टालिन ने केजरीवाल को अपना ‘‘अच्छा दोस्त’’ बताया और कहा कि अध्यादेश का विरोध करने के मुद्दे पर उनके बीच हुई चर्चा उपयोगी रही.

स्टालिन ने आग्रह किया, ‘‘गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के नेताओं को भी अध्यादेश के विरोध में अपना समर्थन देना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए विपक्षी दलों के बीच इस तरह की स्वस्थ चर्चा जारी रहनी चाहिए. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को निष्प्रभावी करते हुए अध्यादेश लाने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा कि द्रमुक इसका कड़ा विरोध करने और आप सरकार और दिल्ली के लोगों के साथ खड़े होने के लिए सहमत है.

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केजरीवाल स्टालिन का समर्थन मांगने के लिए विमान से चेन्नई पहुंचे थे. उन्होंने कहा, ‘‘इस अध्यादेश का संसद में सामूहिक रूप से विरोध किया जाना चाहिए क्योंकि यह अलोकतांत्रिक, संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक है.’’ उन्होंने अध्यादेश का विरोध करने के लिए विपक्षी दलों के एकसाथ आने को 2024 के लोकसभा चुनाव का ‘सेमीफाइनल’ बताया. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि द्रमुक सरकार को एक ऐसे राज्यपाल के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ी, जिसने न केवल विधानसभा विधेयकों का अनुमोदन करने से परहेज किया बल्कि राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए भाषण को भी नहीं पढ़ा.

मान ने कहा, ‘‘मैं अपने राज्य में इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहा हूं. मुझे बजट सत्र बुलाने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा क्योंकि राज्यपाल इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे. हम लोकतंत्र को बचाने के लिए द्रमुक का समर्थन चाहते हैं.’’ आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए गैर-भाजपा दलों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं ताकि इसकी जगह लेने के लिए संसद में विधेयक लाए जाने पर केंद्र उसे पारित नहीं करा सके.

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