केले के पत्ते भी हैं आमदनी का जरिया, लंबे समय तक स्टोर करने के लिए अपनाएं यह तरीके


समस्तीपुर : केले के फलों के साथ-साथ उनके पत्ते भी कई उपयोगों के लिए जाने जाते हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के वैज्ञानिक संजय कुमार सिंह के अनुसार, खासकर तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में, केले के पत्तों पर खाना खाने की परंपरा है, जो शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. ये पत्ते न केवल सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, बल्कि इनमें कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जैसे बुखार को कम करने और घाव भरने में मदद करना. इसके अलावा, ये केक लपेटने और चिपचिपे चावल पैक करने में भी उपयोगी होते हैं.

केले के पत्ते आसानी से फट जाते हैं, विशेषकर बरसात के मौसम में. इसलिए, उनकी लंबी अवधि के लिए सुरक्षित रखने की तकनीकें जानना जरूरी है. प्रारंभिक प्रसंस्करण के तहत, ताजे केले के पत्तों को साफ करने के बाद, उन्हें ठंडे पानी में भिगोया जाता है. इससे पत्ते ताजे रहते हैं. धोने के बाद, पत्तों की सतह को एक साफ कपड़े से पोंछा जाता है ताकि गंदगी हट सके. इसके बाद, पत्तों को 2-3 मिनट के लिए उबलते पानी में डाला जाता है, जिसे ब्लांचिंग कहा जाता है. यह प्रक्रिया न केवल पत्तों की कठोरता को बनाए रखती है, बल्कि सतह पर मौजूद सूक्ष्मजीवों को भी मारती है, जिससे पत्ते लंबे समय तक ताजे रहते हैं.

जानिए भंडारण और संरक्षण की तकनीकें
ब्लांचिंग के बाद, केले के पत्तों को सावधानी से मोड़कर प्लास्टिक की थैली में रखा जाता है. ऐसा करने से ठंडी हवा के संपर्क को सीमित किया जा सकता है. इस विधि से पत्तों को 7-10 दिनों तक ताजा रखा जा सकता है. इसके अलावा, संशोधित वायुमंडलीय पैकेजिंग (MAP) का उपयोग करके, शेल्फ जीवन को और बढ़ाया जा सकता है. यह तकनीक श्वसन दर को धीमा कर देती है, जिससे पत्तों की ताजगी बनी रहती है. यदि आपको पत्तों को और अधिक समय तक सुरक्षित रखना है, तो आप उन्हें फ्रीजर में भी रख सकते हैं.

बर्फ़ीले केले के पत्ते उनकी मूल स्थिति को बनाए रखने में मदद करते हैं. इसके अलावा, अगर पत्तियों के बीच एथिलीन अवशोषित करने वाले सैशे रखे जाएं और उन्हें 5 डिग्री सेंटीग्रेड के नियंत्रित तापमान में रखा जाए, तो ये 10 दिनों से अधिक समय तक ताजे रह सकते हैं. इससे निर्यात की संभावनाएं बढ़ती हैं और आय में वृद्धि होती है.

जानिए पर्यावरणीय लाभ और व्यावसायिक संभावनाएं
वैज्ञानिक ने कहा कि केले के पत्तों से बने थाली, कटोरी और गिलास आजकल काफी प्रचलित हो रहे हैं. ये प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प हैं, भले ही ये थोड़ा महंगे पड़ते हैं. ये पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और जल्दी सड़कर मिट्टी में मिल जाते हैं. इस प्रकार, केले के पत्तों का उपयोग केवल खाद्य संस्कृति में ही नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उनकी सही तकनीक से भंडारण और संरक्षण करके, हम न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदार रह सकते हैं.

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