क्या कहता है विज्ञान: आखिर क्यों सुलझ नहीं पा रहा है नामीबियाई रेगिस्तान के उन गोलों को रहस्य?


अफ्रीकी देश नामीबिया के रेगिस्तान के रहस्यमयी गोलों का रहस्य आज भी अनसुलझा है. सूखे घास के मौदानों में बनीं ये गोलाकार आकृतियां बीते 50 सालों से वैज्ञानिकों के लिऐ रहस्य बनी हुई हैं. इस विषय पर बहुत सी स्टडी हुई हैं. दशकों से वैज्ञानिक इस गुत्थी को सुलझाने में लगे हुए हैं पर इस पर सबसे अधिक अच्छी व्याख्या पर्स्पैक्टिव इन प्लांट इकोलॉजी, इवोल्यूशन एंड सिस्टेमैटिस में प्रकाशित अध्ययन की है. लेकिन फिर भी वैज्ञानिक इस पर अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं. आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहता है विज्ञान!

नामिब रेगिस्तान या कहें कि सूखे घास के मैदान में घास के पौधों के बीच में गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं जो दरअसल वह हिस्सा है जिस पर किसी भी पौधे या घास का नामोनिशान तक नहीं हैं. ऐसे में ये घास के पौधों के बीच में दूर से खूबसूरत गोलाकार आकृति बनाते हैं. इन्हीं को फेयरी सर्कल नाम मिला है. ऐसा क्यों होता है इसी की पड़ताल ने ही वैज्ञानिकों की नाक में दम कर रखा हुआ था.

दो हो सकते है कारण
वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो इस पहेली के दो कारण हो सकते हैं. एक तो इन गोलों में घास तो ऊगती है, लेकिन किसी खास कारण से इन गोलों में ये बढ़ नहीं पाती है या उससे पहले ही नष्ट हो जाती है. दूसरा कारण ये हो सकता है कि इस धब्बों में ऐसे हालात बन जाते हैं कि इन गोलों में ही घास ऊग ही नहीं पा रही है.

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जिस तरह से बीच मैदान में ये आकृतियां दिखाई देती हैं वह वाकई हैरान करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

पहली वजह क्या है?
कई अध्ययनों ने पहली वजह की ओर पड़ताल की और दावा किया कि ऐसा रेगिस्तान की जमीन के खास हिस्से में दीमक के समूह मिल कर एक गोलाकार जगह घेरते हैं और वे उस इलाके में घास को पनपने नहीं देते हैं और इसी वजह से ये धब्बे बन जाते हैं और दूर से सुंदर आकृति बनाते दिखते हैं.

दूसरे नजरिए ने दिखाया रास्ता
लेकिन पर्स्पैक्टिव इन प्लांट इकोलॉजी, इवोल्यूशन एंड सिस्टेमैटिस की स्टडी ने दूसरा नजरिया अपनाया उन्होंने सोचा कि जरूर कुछ ऐसा हो रहा है जिससे  यहां पौधे पनप ही नहीं रहे हैं, लेकिन उन्होंने पाया कि इसकी वजह दीमक नहीं बल्कि गोलों के अंदर और बाहर की जमीन के अंदर के हालात ही अलग हैं.

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वैज्ञानिकों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ये पैटर्न आकार कैसे लेतै है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

क्या किया शोधकर्ताओं ने
जर्मनी की ओएजटिंगेन यनिवर्सटी के इकोसिस्टम मॉडलिंग विभाग और इजराइल के गुरियोन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इन धब्बों की गहन पड़ताल करने के लिए नामिब के अलग अलग इलाकों के 500 घास के पौधों का अध्ययन किया. हर पौधे की जड़, पत्ती आदि को मापा गया और उनके अंतर को भी रिकॉर्ड किया गया.  उन्होंने 2023 और 2024 के बारिश के मौमस के दौरान मिट्टी की नमी की भी बारीकी से जांच की.

क्या मिली वजह?
वैज्ञानिकों ने पाया कि धब्बों के 4-5 इंच नीचे की मिट्टी पूरी तरह सूखी थी और बारिश के 10-20 दिन के अंदर ही छोटे पौधे सूख कर झड़ गए थे. जबकि मिट्टी 8-12 इंच की गहराई में नम थी. इससे आसपास के पौधे तो पनपते रहे, लेकिन गोले के अंदर की जमीन साफ ही रही.

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नहीं मिले कई सवालों के जवाब
साफ है स्टडी ने काफी सवालों के जवाब तो दिए पर सारे नहीं.  जैसे यह धब्बे कैसे निश्चित होते हैं इनका आकार गोल ही कैसे बन जाता है. जब धब्बे के अंदर छोटे पौधे नहीं पनप पाते हैं, तो धब्बे के बाहर वे कैसे पनप जाते हैं. ऐसे में हैरानी की बात नहीं कि गुत्थी को सुलझाने का दावा क्यों नहीं किया जा रहा है. साल दर साल इसी अध्ययन में गहराई में उतरते चले गए और फिर बहुत से सवालों के जवाब हासिल कर लिए. लेकिन पहेली हल होने का दावा शायद अभी नहीं किया जा सकता है.

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