क्या थी अंगिया और नथ उतराई? जिसके जरिए एक लड़की बन जाती थी तवायफ
<p class="p1" style="text-align: justify;">एक जमाने में तवायफ के पास राजा<span class="s1">-</span>महाराजा अपने राजकुमारों को तहजीब सिखने भेजा करते थे<span class="s1">. </span>उस जमाने में तवायफों के पास जाना राजा<span class="s1">-</span>महाराजाओं का भी शौक हुआ करता था<span class="s1">. </span>हालांकि तब तवायफ बन जाना इतना आसान भी नहीं था<span class="s1">, </span>बल्कि तवायफ बनने के लिए कुछ रस्मों से गुजरना पड़ता था<span class="s1">. </span>इन रस्मों में खास थीं अंगिया<span class="s1">, </span>नथ और मिस्सी<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>क्या होती थी तवायफ बनने की रस्में<span class="s1">?</span></strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">एक जमाने में लड़की का तवायफ बनना इतना आम नहीं था<span class="s1">. </span>यदि कोई लड़की तवायफ बनने के लिए लाई जाती थी तो उसे कुछ रस्मों से होकर गुजरना पड़ता था<span class="s1">. </span>इसमें बहुत खास रस्में मिस्सी<span class="s1">, </span>अंगिया और नथ उतराई हुआ करती थी<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>नथ उतराई</strong><span class="s1">- </span>नथ उतराई कोठे में किसी भी लड़की की पहली रात होती थी<span class="s1">. </span>दरअसल दौर कोई भी हो<span class="s1">, </span>कोठे पर कुंवारी लड़की की बोली ज्यादा ही लगती थी<span class="s1">, </span>खासकर जब लड़की वर्जिन हो<span class="s1">. </span>वहीं कोठे पर वर्जिन लड़की की पहली बार बोली लगना एक त्योहार की तरह था<span class="s1">. </span>जिसके लिए कई अमीर लोग कोठे पर आते और उस लड़की की बड़ी से बड़ी बोली लगाता<span class="s1">. </span>जो सबसे ज्यादा बोली लगाता लड़की की पहली रात उसी के साथ गुजरती थी<span class="s1">. </span>ऐसे में वर्जिन लड़की की नाक में पहली बार नथ पहनाई जाती थी<span class="s1">, </span>जो उस रात के बाद वो लड़की कभी नहीं पहनती थी<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>अंगिया</strong><span class="s1">- </span>जब कोई लड़की अपने बचपने से निकलकर किशोरावस्था में कदम रखती थी तो उसके शरीर में कई तरह के बदलाव होते थे<span class="s1">, </span>इसी दौरान एक रस्म होती थी जिसे अंगिया नाम दिया जाता था<span class="s1">. </span>इस रस्म में कई तवायफें इकट्ठा होतीं और उस लड़की को ब्रा पहनाई जाती<span class="s1">. </span>दरअसल ये रस्म किसी लड़की के तवायफ बनने का पहला कदम होता था<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>मिस्सी</strong><span class="s1">- </span>किसी कोठे पर मिस्सी एक खास रस्म होती थी<span class="s1">, </span>जिसमें लड़की के दांतों को काला किया जाता था<span class="s1">. </span>दरअसल आज के जमाने के विपरीत उस जमाने में काले दांत और कत्थे से लाल होठ काफी सुंदर माने जाते थे<span class="s1">. </span>ऐसे में लड़की की दांतों को काला करने के लिए एक खास पाउडर का इस्तेमाल किया जाता था<span class="s1">. </span>इसी रस्म को मिस्सी कहा जाता<span class="s1">, </span>ये एक खास रस्म होती थी जिसमें सिर्फ कोठे की औरतें ही शामिल होती थीं<span class="s1">. </span>जब ये रस्म हो जाती तो उस कोठे पर खास तरह के आयोजन और नाच गाना किया जाता था<span class="s1">.</span></p>
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