क्या है डेथ वैली की कहानी, जहां खुद ही चलते रहते हैं 300-300 किलो के पत्थर



<p>प्रकृति में बहुत कुछ ऐसा है, जो हम सभी को हैरान करता है. इन रहस्यों को कई बार वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाते हैं. ऐसा ही डेथ वैली नैशनल पार्क को लेकर भी कहा जाता है. ये जगह अमेरिका में पूर्वी कैलिफॉर्निया और नेवादा के बीच है. बता दें कि यहां का तापमान काफी ज्यादा रहता है. पूरी दुनिया में इसे एक भूतहा शहर और रंगीन चट्टानों के कारण जाना जाता है. लेकिन डेथ वैली का एक और रहस्य है कि यहां के पत्थर खुद से चलते हैं. जानिए आखिर इसके पीछे की क्या वजह है.&nbsp;</p>
<p><strong>खुद से चलते हैं पत्थर</strong></p>
<p>डेथ ऑफ वैली को लेकर कहा जाता है कि यहां पर चट्टान खुद से चलते हैं. लेकिन इसके पीछे क्या कारण है इसको लेकर अलग-अलग कहानियां हैं. जानकारी के मुताबिक पहली बार 1948 में पता चला था कि वहां पर पत्थर चलते हैं. इतना ही नहीं पत्थरों के आगे बढ़ने का निशान वहां जमीन पर जमी हुई धूल पर पड़ जाता है. वहीं हाल ही में वहां वैज्ञानिकों ने कुछ पत्थरों में जीपीएस ट्रैकर भी लगाकर देखा है, जिससे उन पत्थरों की गतिविधियों पर नजर रखा जा सके.&nbsp;</p>
<p><strong>वैज्ञानिकों ने क्या कहा</strong>&nbsp;</p>
<p>डेथ ऑफ वैली को लेकर अलग-अलग वैज्ञानिकों अपनी बात रखते हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि धूल के बवंडर की वजह से पत्थर आगे की ओर बढ़ते हैं. वहीं कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस विशालकाय झील के इलाके में अकसर काफी तेज-तेज हवा चलती हैं, इन हवाओं की वजह से ही पत्थर आगे की ओर बढ़ते हैं. लेकिन किसी भी वैज्ञानिक ने अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं दिया है.&nbsp;</p>
<p><strong>नासा के वैज्ञानिक</strong></p>
<p>जानकारी के मुताबिक नासा के एक वैज्ञानिक राफ लॉरेंज ने सही वजह बताने का दावा किया है. उनके मुताबिक झील की सतह पर कुछ पानी रहता है, जो ठंड के वक्त जम जाता है. वहीं झील की सतह पर कुछ पत्थर मौजूद हैं, जिसके नीचे का पानी पत्थर बनकर उनसे चिपका रहता है. लेकिन जब मौसम गर्म होता है, तो पत्थर से चिपका बर्फ पिघल जाता है और झील की सतह पर थोड़ा पानी जमा हो जाता है. वहीं जब हवा चलती है तो दबाव पड़ने की वजह से पत्थर आगे खिसकने लगता है और बर्फ की वजह से झील की सतह पर निशान पड़ जाता है.</p>
<p><strong>तापमान</strong>&nbsp;</p>
<p>डेथ ऑफ वैली घाटी का तापमान पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 56.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. ये गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है. हालांकि इसने तापमान के बावजूद इन रंग-बिरंगी चट्टानों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. वहीं दूसरी हैरान करने वाली बात है कि समुद्र तल से 282 फीट नीचे होने के बाद भी यह घाटी एकदम सूखी है. वहीं भूवैज्ञानिकों का मानना है कि इस जगह पर कभी समुद्र रहा होगा, क्योंकि यह समुद्र तल के नीचे है और घाटियों में नमक के टीले भी हैं.</p>
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