क्रिकेट के लिए क्यों बढ़ती जा रही लोगों की दीवानगी, आखिर क्रिकेट में ऐसी क्या बात है?
आज जिधर देखिए, क्रिकेट का शोर है. हर उम्र के लोगों में क्रिकेट और क्रिकेटरों के लिए जैसी दीवानगी देखी जा रही है, वैसी किसी और खेल और खिलाड़ियों के लिए ढूंढना मुश्किल है. सवाल है कि आखिर क्रिकेट में ऐसी क्या बात है, जो इसे इतना खास बनाती है?
किसिम किसिम के खेल
अगर यह सर्च करने बैठें कि दुनिया में कितने तरह के खेल-कूद होते हैं या कभी रहे हैं, तो इसकी तादाद हजारों में पहुंच जाती है. सिर्फ आज के दौर के ओलंपिक, एशियाई खेल या कॉमनवेल्थ गेम्स की बात करें, तो 40 से ज्यादा अलग-अलग तरह के खेल आयोजित किए जाते हैं. लेकिन आयोजन समाप्त होने के बाद एक लंबी विस्मृति का दौर आता है. लोग ‘फेंक जहां तक भाला जाए’ को भुलाने में देर नहीं लगाते. भाला फेंकने वाले को भी जब-तब ऐड में देखने पर ही याद किया करते हैं. नतीजा- फिर से क्रिकेट का राज कायम हो जाता है.
बॉल वाले प्राचीन खेल
खेलों का संबंध समृद्धि से भी रहा है. ‘सोने की चिड़िया’ वाले इस देश में खेलों का इतिहास भी समृद्ध रहना लाजिमी है. प्राचीन धर्मग्रंथों और अन्य साहित्य में 50 से भी ज्यादा तरह के खेलों का जिक्र मिलता है. बात क्रिकेट से तुलना की है, तो यहां सिर्फ वैसे खेल गिनाए जा रहे हैं, जिनमें गेंद या इस जैसी चीज का इस्तेमाल होता था.
एक खेल हुआ करता था- शिक्यादि-मोषण क्रीड़ा. इसमें एक गेंद लेकर उसको लगातार इधर-उधर फेंका जाता था. जिस खिलाड़ी को गेंद झपटना होता था, उसे लगातार छकाया जाता था. एक था- बिल्वादिप्रक्षेपण क्रीड़ा. इसमें गेंदों या इस जैसी चीजों (जैसे बेल) को हवा में ऐसे फेंका जाता कि वे रास्ते में टकरा जाएं. कंदुक-क्रीड़ा तो हमेशा से लोकप्रिय रही है. यह आज के फुटबॉल जैसा भी खेला जाता था और वॉलीबॉल जैसा भी. दुनियाभर में फुटबॉल आज भी नंबर वन पोजीशन पर है. एक था- वाजिवाह्य क्रीड़ा. इस खेल में घोड़ों पर चढ़कर गेंद को इधर से उधर मारा जाता था. गोस्वामी तुलसीदासजी ने ‘गीतावली’ में भी इसका जिक्र किया है. माने पोलो कोई आज का खेल नहीं है!
बॉल और रोमांच
वैसे तो हर खेल का अपना ही मजा होता है. यहां तक कि पूर्णत: ‘बैठारी वाले खेल’ लूडो में भी गोटियां पीटने-पिटाने से लेकर उसे होम में पहुंचाने तक रोमांचित करने वाले कई पल आते हैं. फिर भी ऐसा लगता है कि खेलों में ज्यादा से ज्यादा रोमांच पैदा करने के लिए इंसानों को एक लुढ़कने वाली गोलाकार चीज की तलाश रही है. फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, वॉलीबॉल जैसे कई लोकप्रिय खेलों में बॉल के इस्तेमाल से यह बात समझी जा सकती है. हां, बॉल के रंग, साइज, मैदान के आकार-प्रकार और खेल के नियम-कायदे जरूर अलग-अलग होते हैं.
क्रिकेट सबसे जुदा
अगर गौर करें, तो क्रिकेट में कुछ नहीं, बहुत कुछ ऐसा मसाला है, जो इसे बाकी खेलों से ज्यादा पॉपुलर बनाता है. बॉल की स्पीड ही देख लीजिए. 150 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे भी ज्यादा की रफ्तार से आती बॉल को पढ़ना और उसे तुरंत हिट करना कोई मामूली चुनौती है क्या? यहां हरेक बार बॉल फेंके जाने से लेकर उसके डेड होने तक सब कुछ अप्रत्याशित होता है, पल-पल रोमांच से भरा. राइट बॉल या नो बॉल, नो बॉल पर फ्री हिट, गिल्लियां बिखरने, पांव पर लगने, रन या रन-आउट, 22 यार्ड की दूरी के बीच दौड़ा-दौड़ी, थ्रो, कैच आउट या बाउंड्री पार होने तक सैंकड़ों नियम इस एक खेल में पिरोए गए हैं.
बल्लेबाज 360 डिग्री के घुमाव के बीच बॉल के साथ क्या-क्या कर सकता, इसकी भी कोई सीमा नहीं है. इस खेल में किसी बल्लेबाज के सिर्फ आउट होने के भी 10 से ज्यादा तरीके हो सकते हैं. मैच जीतने-हारने से जुड़े आईसीसी के नए-नए कायदे-कानून भी इस खेल को जीवंत बनाते हैं. और यहां रिकॉर्ड तो इतनी जल्दी ध्वस्त होते हैं, जैसे बालू से बना घरौंदा.
नित नए कारनामे
क्रिकेट में कितनी तेजी से रिकॉर्ड बनते और ध्वस्त होते हैं, इसके एक-दो नमूने देखिए. IPL के मौजूदा सीजन में हैदराबाद-बेंगलुरु के बीच मैच था. मैच में कुल 549 रन बने, जो कि टी-20 के इतिहास में सबसे ज्यादा है. हैदराबाद ने 20 ओवर में 287 रन कूट लिए, जो IPL में किसी भी टीम का सबसे बड़ा स्कोर है. मजे की बात ये कि इस टीम ने अपना ही 19 दिन पुराना रिकॉर्ड (277 रन) तोड़ा. क्या मजाक चल रहा है! कभी 50 ओवर में 225-250 रन विनिंग स्कोर हुआ करता था.
घरेलू टूर्नामेंट में भी नए-नए सूरमा उभर रहे हैं. हाल ही में टी-20 के एक लीग मैच में बल्लेबाज ने महज 26 गेंदों में सेंचुरी जड़ दी. नतीजा- क्रिस गेल का T20 क्रिकेट में सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया. गेल ने IPL 2013 में पुणे के खिलाफ 30 गेंदों पर शतक बनाया था. लीजिए, अब लगता है कि गेल ने तब 4 बॉल ज्यादा खाकर गुनाह कर दिया था! सूरज शिंदे नाम के इस खिलाड़ी का स्ट्राइक रेट रहा 391. चौके 3, छक्के 14. आगे भी परफॉर्मेंस ठीक रहा, तो इन पर तगड़ी बोली लगना लाजिमी है.
कैश करो, ऐश करो
इस खेल में कैश भी खूब है, ऐश भी. वैसे तो लोकप्रियता में क्रिकेट के खिलाड़ी सिने स्टार्स को पहले भी टक्कर देते रहे हैं, लेकिन हाल में क्रिकेटरों के जलवे और बढ़े हैं. मोटे पैकेज की तो बात ही छोड़ दीजिए. इनकी अकूत कमाई का एक बड़ा हिस्सा ब्रांड एंडोर्समेंट से आता है. इस बारे में GroupM ESP की रिपोर्ट, 2023 देखने लायक है.
रिपोर्ट कहती है कि देश में सब मिलाकर स्पोर्ट्स सेलेब्रिटी एंडोर्समेंट पर खर्च 2021 के मुकाबले 2022 में 20% बढ़ गया. इसे रुपये में देखें, तो यह 625 करोड़ से बढ़कर 749 करोड़ हो गया. खास बात ये कि इस 749 करोड़ के कुल एंडोर्समेंट में से लगभग 85%, यानी 640 करोड़ सिर्फ क्रिकेटरों के हाथ आया. बाकी खेलों के खिलाड़ियों के हिस्से आए सिर्फ 109 करोड़. रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 505 डील में से 381 सिर्फ क्रिकेटरों के साथ हुई. अब देखिए कि देश में बाकी खेलों की तुलना में क्रिकेट और क्रिकेटर कहां खड़े हैं.
अभी जैसे हालात हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि क्रिकेट की तुलना सिर्फ क्रिकेट से ही की जा सकती है. बाकी किसी खेल से इसकी तुलना फिलहाल बेमानी है.
अमरेश सौरभ वरिष्ठ पत्रकार हैं… ‘अमर उजाला’, ‘आज तक’, ‘क्विंट हिन्दी’ और ‘द लल्लनटॉप’ में कार्यरत रहे हैं…
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