खंडवा की फेमस हींग की कचोरी, सिरपुर गांव में स्वाद के दीवाने रोज़ लगाते हैं लाइन


खंडवा शहर से सिरपुर गांव की ओर जाने वाले रास्ते पर एक छोटी सी दुकान है, जहां से हर दिन 3,000 से ज्यादा कचोरी बिकती हैं. यह कोई साधारण कचोरी नहीं, बल्कि हींग वाली खास कचोरी है, जिसका स्वाद लोगों को शहर से गांव तक खींच लाता है. इस दुकान के मालिक सतीश चौधरी हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए इस कचोरी का कारोबार इतना सफल बनाया.

छोटी गुमटी से बड़े रेस्टोरेंट तक का सफर
सतीश चौधरी बताते हैं कि इस कचोरी का सफर 2013 में शुरू हुआ, लेकिन इसकी जड़ें 2000 में हैं, जब उनके पिताजी, कृष्णा चौधरी, ने एक छोटी सी चाय और पान की गुमटी से इसकी शुरुआत की थी. धीरे-धीरे यह गुमटी एक छोटे रेस्टोरेंट में बदल गई, जिसका नाम उन्होंने अपनी बहन जयश्री के नाम पर रखा.

आज जयश्री रेस्टोरेंट की यह हींग वाली कचोरी इतनी मशहूर हो चुकी है कि लोग इसे खाने के लिए 6 से 7 किलोमीटर दूर से भी आते हैं. इस कचोरी के अनोखे स्वाद का राज इसके मसाले हैं, जो घर पर ही तैयार किए जाते हैं. सतीश बताते हैं, “हमारे मसाले, खासकर हींग और अन्य खड़े मसाले, घर पर ही बनाए जाते हैं. साथ ही इमली की चटनी और दही भी घर में तैयार की जाती है, जो कचोरी को और खास बना देती है.”

दही की कचोरी भी बनी हिट
सिर्फ हींग की कचोरी ही नहीं, बल्कि दही वाली कचोरी का स्वाद भी ग्राहकों के दिलों में बसा हुआ है. जीतू पटेल और योगेश अंबिया जैसे नियमित ग्राहक बताते हैं कि यहां मिलने वाली इमली की चटनी और दही-सेव का मेल कचोरी को खास बनाता है. उनका कहना है, “हम इस दुकान पर तब से आ रहे हैं, जब यह एक छोटी सी पान की दुकान थी, और तब भी इसका स्वाद लाजवाब था. आज भी, इतने सालों बाद, वही स्वाद बरकरार है.”

कचोरी की दीवानगी और बढ़ता व्यापार
सिरपुर गांव की यह छोटी सी दुकान अब दूर-दूर तक मशहूर हो चुकी है. दिन भर में 3,000 से ज्यादा कचोरी बिक जाती हैं, और लोग इसे खाने के लिए खंडवा शहर से सिरपुर गांव तक का सफर तय करते हैं. यह न सिर्फ स्वादिष्ट कचोरी की बात है, बल्कि कड़ी मेहनत और वर्षों के समर्पण का फल है, जिसने इसे इतनी लोकप्रियता दिलाई है.

फेमस कचोरी की सफलता की कहानी
कचोरी की इस दुकान ने सिर्फ स्वाद का जादू ही नहीं बिखेरा, बल्कि स्थानीय व्यापार का भी एक अनोखा उदाहरण पेश किया है. छोटे से पान की गुमटी से शुरू होकर एक बड़े रेस्टोरेंट तक का सफर दिखाता है कि यदि किसी में दृढ़ संकल्प और लगन हो, तो वह किसी भी छोटे व्यापार को बड़ा बना सकता है.

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