खेत में न खाद डाली… न कीटनाशक, फिर भी 20 लाख कमाई! इस देसी जुगाड़ ने बदल दी किसान की किस्मत!

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Natural Farming: लीलिया तालुका के गोधावदर गांव के प्रगतिशील किसान भरतभाई नारोला गाय आधारित खेती कर रहे हैं. वार्षिक 20 लाख रुपये की आय हो रही है. साथ ही किसान ऊंची किस्म के गेहूं की खेती कर रहे हैं. पौधे की ऊंच…और पढ़ें

खेत में न खाद डाली न कीटनाशक, फिर भी कमाए 20 लाख! कमाल का है ये देसी जुगाड़

प्राकृतिक खेती

हाइलाइट्स

  • भरतभाई नारोला ने गाय आधारित खेती से 20 लाख की वार्षिक आय की.
  • प्राकृतिक खेती में ऊंची किस्म के बंसी गेहूं की खेती की.
  • प्राकृतिक खेती में दशपर्णी अर्क का उपयोग कीट नियंत्रण के लिए किया.

अमरेली: गुजरात के अमरेली के लीलिया तालुका के गोधावदर गांव के प्रगतिशील किसान भरतभाई नारोला पिछले 11 साल से गाय आधारित प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. भरतभाई ने 10वीं तक पढ़ाई की है और उनकी उम्र 50 साल है. भरतभाई ने 47 बीघा जमीन में ऊंची किस्म के बंसी गेहूं की खेती की है. साथ ही देशी बाजरा, देशी मिर्च, प्याज के बीज तैयार करने के लिए बुंधेल एक्सपोर्ट किस्म के बीज भी बोए हैं. उन्हें प्राकृतिक खेती इनपुट्स सहायता का भी लाभ मिल रहा है.

किसान भरतभाई नारोला ने बताया कि अब किसानों को गाय आधारित प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाना जरूरी हो गया है. शून्य खर्च की खेती सही पद्धति से की जाए तो निश्चित रूप से अच्छा उत्पादन और कमाई हो सकती है. जमीन की उर्वरता भी बढ़ाई जा सकती है. प्राकृतिक खेती पद्धति के समर्थक सुभाष पालेकर से प्रेरणा लेकर उन्होंने 2012 से प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाई थी.

भरतभाई ने किसानों को दी टिप्स
किसान ने आगे बताया कि प्राकृतिक खेती पद्धति में किसानों को लगातार फसल चक्र बदलना अनिवार्य है. एकदल और द्विदल फसलों की खेती सही पद्धति से करनी चाहिए. साथ ही तैयार फसल लेने के बाद खेत में उसके अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए. कीट नियंत्रण (Pest Control) के लिए दशपर्णी अर्क (decpaparni extract) तैयार करके उसका उपयोग करना चाहिए. बाजार में फसल का अच्छा विक्रय करने के लिए तैयार फसल की सफाई और पैकेजिंग सही तरीके से करनी चाहिए. इस प्रकार, प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को अच्छी कमाई के लिए खेत उत्पादों का मूल्यवर्धन करना बहुत जरूरी है. देशी खाद का उपयोग, घन जीवामृत आदि का उपयोग करना चाहिए. कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कभी नहीं करना चाहिए.

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बता दें कि भरतभाई ने कहा कि मैंने ऊंची किस्म के बंसी गेहूं के बीज का बीघे में 10 से 12 किलो बोया है. इस गेहूं के पौधे की ऊंचाई लगभग 4 फुट तक होती है और इस पद्धति से खेती करने पर गेहूं के पौधे गिरते नहीं हैं क्योंकि उनकी जड़ें मजबूत होती हैं. बीघा में 35 से 40 मन गेहूं का उत्पादन होता है और बाजार में मन का 1500 रुपये तक ऊंचा भाव मिलता है. गाय आधारित खेती होने के कारण वार्षिक 20 लाख की आय हो रही है.

प्राकृतिक खेती पद्धति
गाय आधारित प्राकृतिक खेती पद्धति में गाय का गोबर, गुड़, चने का आटा, पानी सही मात्रा में मिलाकर जीवामृत बनाया जाता है. इसके अलावा खट्टी छाछ, गुड़, पानी सही मात्रा में मिलाकर गौ अमृतम बैक्टीरिया तैयार किया जाता है. साथ ही दशपर्णी अर्क बनाकर उसका उपयोग खेती में देशी खाद, कीटनाशक के रूप में किया जाता है. इससे प्राकृतिक खेती में जमीन की उर्वरता और फसल उत्पादन बढ़ता है.

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