गर्मी में यह खेती बनाएगी लखपति! लागत 10-12 हजार, 10 टन प्रति एकड़ उत्पादन, जानिए एक्सपर्ट की भी सलाह


पलामू: आज के समय में किसान पारंपरिक खेती के अलावा कई तरह के फसल की खेती करते हैं. जिसमें एक नाम शकरकंद का भी आता है. जिसकी खेती किसानों को मालामाल बना सकती है. शकरकंद की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है. मगर जून और जुलाई का महीना इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त है. तो आइए इस रिपोर्ट में जानते है शकरकंद के फसल के जुड़ी सभी जानकारी.

इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में तैयार होता है. क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक रमेश कुमार ने बताया की शकरकंद की खेती के लिए किसान ग्रीष्मकालीन मौसम में रोपाई कर सकते हैं. इसके लिए जून से अगस्त माह के बीच का समय सबसे उपयुक्त है. वहीं इसकी कटाई अक्टूबर नवंबर महीने में हो जाती है. इसे किसान दोबारा दिसंबर से जनवरी के महीने में लगा सकते हैं. हालांकि शरद ऋतु होने के कारण ये फसल उतना अच्छा तैयार नहीं होता है. इसके लिए 20-21 डिग्री तापमान का होना बेहद जरूरी है. तभी ये फसल अच्छा मुनाफा दे सकती है.

इन प्रभेदों का करें चयन
शकरकंद के 400 से अधिक प्रभेद हैं. जिसमें एस10 प्रभेद बहुत अच्छा पैदावार देता था. अब और भी प्रभेद हैं जैसे श्रीभद्रा, पूसा सफेद, कोंकण अश्विनी, पूसा सुनहरी, श्री अरुण, कालमेघ, श्री वरुण, श्री रत्न क्रॉस-4, श्री वर्धिनी, श्री नंदिनी, राजेंद्र शकरकंद-5, और भी कई किस्में हैं जो प्रमुख मानी जाती है. शकरकंद की उन्नत प्रभेद 110 से 120 दिन में तैयार हो जाते हैं.

एक एकड़ में 2 लाख तक मिलेगा मुनाफा
एक एकड़ में 33000 से 33500 कटिंग लगाया जाता है. जिसकी लागत लगभग 10-12 हजार आती है. वहीं तीन से चार महीने में शकरकंद लगभग 10 टन प्रति एकड़ तैयार होता है. जिससे किसानों को 2 लाख तक का सीधा मुनाफा मिलता है. .

इसे लगाने के लिए किसान इसके शीर्ष का प्रयोग कर सकते हैं. इसके शीर्ष को 20 सेंटीमीटर काटकर लगाया जाए तो ये फसल तैयार हो जाता है. वहीं किसान श्रीभद्रा प्रभेद को राष्ट्रीय बीज निगम के वेबसाइट पर जाकर 35 प्रतिशत सब्सिडी पर खरीद सकते हैं.

रोपाई के समय कितनी रखें फसल की दूरी
शकरकंद के पौधों की रोपाई करते समय पौधे की पौधे की दूरी लगभग 20 सेंटीमीटर से 60 सेंटीमीटर रखें. इसके साथ साथ एक पौधे को लगाते समय दो गांठ जमीन के अंदर डालें. इसके बाद 15 से 20 क्विंटर गोबर प्रति एकड़ के दर से खाद के रूप में डालें. खरपतवार से बने खाद का भी आप उपयोग कर सकते हैं. नाइट्रोजन, पोटास और फॉस्फेट जरूर डालें. जिसकी मात्रा 60:60:60 प्रति एकड़ की होनी चाहिए.

बीज उपचार के लिए करे ये उपाय
शकरकंद की खेती से पहले बीज उपचार के साथ-साथ कीटनाशक उपचार जरूर करें. इसके लिए इमिडाक्लोरोपिड नमक दवा को 1 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपचार करें. इसके लिए सभी शीर्ष को 15-20 मिनट तक मिश्रण में मिलाए रखें. इसके बाद खेत में लगाएं.

शकरकंद में दीमक और वेविल से बचने के लिए फाइफ्रोनिल दवा को चार केजी प्रति एकड़ की दर से खेत में छीटें. जिससे वेवील और दीमक का खतरा से बचा जा सकता है. वेविव के हमले से शकरकंद में काला धब्बा बन जाता है. जिससे शकरकंद को खाने में तीखापन आता है. इससे बचाव के लिए हम फाइफ्रोनील दवा का छिड़काव करते हैं.

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