गांवों में बदल रही लोगों की लाइफस्टाइल, अनाज से ज्यादा AC-फ्रीज पर कर रहे खर्च: नीति आयोग


NITI Aayog House Hold Consumption Expenditure Report 2022-23: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) ने अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के दौरान घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) रिपोर्ट जारी किया है. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) का ब्यौरा तैयार करना है और देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और इसका सामाजिक-आर्थिक समूहों में अलग-अलग वितरण का पता लगाना है.

नीति आयोग के अध्यक्ष बीवीआर सुब्रमण्यम ने जारी रिपोर्ट में बताया गया कि देश भर में खाने की वस्तुओं का भारतीय घरों में खर्चे में कमी आई है. इतिहास में पहली बार देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों के घरों का खर्च घटकर 50 फीसदी से नीचे आया है, वहीं दूसरी चीजों का खपत बढ़ गया है जिससे लोगों का खर्च बढ़ गया है.

गांवों में लोगों का खर्च बढ़ रहा है
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण इलाकों में लोगों का खर्च (Expenditure) बढ़ा है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की लाइफस्टाइल में भारी बदलाव देखी गई है जिससे लोगों की खर्च बढ़ रही है. वहीं शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गैप 90 फीसदी से घटकर 70 फीसदी हो गया है. साल 2022-23 में औसत प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू कंजप्शन खर्च (एमपीसीई) ग्रामीण भारत में 3,773 और शहरी क्षेत्रों में 6,459 था. रिपोर्ट में कहा गया कि ग्रामीण इलाकों में अनाज की खपत 11 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है, जबकि शहरी इलाकों में यह घटकर 4 फीसद ही रह गई है.

घरों का खर्च कम हुआ
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में भारत के इतिहास में पहली बाद खाने पर घरों का खर्चा 50 फीसदी से कम हुआ है, शहरी इलाकों में अनाज पर खर्च घटकर 40 फीसद से भी कम गया है. ग्रामीण इलाकों में ताजे फलों की खपत में वृद्धि हुई है, बेवरेजेज और प्रोसेस फूड के कंजप्शन में बेतहाशा वृद्धि हुई है. बेहतर, खास कर रूढ़ीवादी लाइफस्टाइल से हटकर जीने में लोग खूब खर्च कर रहे हैं.

लोगों का लाइफस्टाइल बदल रही
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोगों की लाइफस्टाइल में बड़ी बदलाव आई है. यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से बेहतर संकेत है. ये मंहगाई पर काबू पाने के लिए बेहतर संकेत हैं. इससे गरीबी दर को कम करने में मदद मिलेगी. रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि जल्द ही गरीबी दर घटकर 5 फीसद तक पहुंच जाएगी.

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumer Expenditure Survey) सर्वे के कुछ प्रमुख बिन्दु-

* ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति मासिक (Monthly per capita) उपभोग 164 फीसदी बढ़ी है, जबकि शहरी इलाकों में यह 146 फीसदी बढ़ी है.

* ग्रामीण इलाकों में उपभोग (Consumption) में 2.6 गुना बढ़ोतरी हुई है, वहीं शहरी इलाकों में 2.5 गुना बढ़ी है.

* शहरी के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग बढ़े हैं.

* लोगों की कमाई बढ़ी है और खाने पर कम खर्च करना पड़ रहा है.

* ग्रामीण और शहरी इलाकों में खर्च करने की दृष्टि से गैप कम हो रहा है.

*अनाज पर लोग कम खर्च कर रहे हैं. वहीं, फ्रिज टीवी मोबाइल पर 15 फीसदी लोग खर्च कर रहे हैं.

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