गूगल मीट में फूट-फूट कर रोने लगा कर्मचारी, सामने आई टेक कंपनियों में फ्रेशरों पर हो रही ज्यादती | hindi news, Tech news



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नई द‍िल्‍ली. आपका कोई दोस्‍त या जानने वाला ऐसा जरूर होगा जो क‍िसी टेक कंपनी में काम करता होगा. आपको बहुत गर्व भी महसूस होता होगा उस पर. होना भी चाह‍िए. प‍िछले कुछ साल में इस सेक्‍टर ने न‍िवेशकों को खूब आकर्ष‍ित क‍िया है और यही वजह है क‍ि नए-नए स्‍टार्ट-अप भी खूब खुले. इन स्‍टार्टअप्‍स में काम करने वाले क‍िस माहौल में काम करते हैं और क‍िस प्रेशर का सामना करते हैं, इसका अंदाजा एक पोस्‍ट से लगाया गया. दरअसल, ऐसे ही एक स्‍टार्टअप में काम करने वाले एक कर्मी ने अपनी आपबीती बताई है. उसने r/DevelopersIndia सबरेडिट पर बताया क‍ि उसके बॉस का उसके प्रत‍ि कैसा व्‍यवहार है और ब‍िल्‍कुल सपोर्ट‍िव नहीं हैं.

इस बारे में बात करते-करते वह Google Meet में फूट-फूट कर रोने लगा. यह कर्मी एक फ्रंटएंड डेवलपर है और इस वाकया पर आए पोस्‍ट ने तकनीकी दुन‍िया के भीतर की पोल खोल दी है.

12 से 15 घंटे कराते हैं काम 
फ्रंटएंट डेवलपर ज‍िस स्‍टार्टअप कंपनी में काम करता है, उसमें दो कर्मचार‍ी हैं और तीन फाउंडर. कर्मी, रीमोटली काम करता है यानी वो वर्क फ्रॉम होम करता है. उसने कहा क‍ि उसके बॉस ब‍िल्‍कुल सपोर्ट‍िव नहीं हैं और उसे हमेशा अपमान‍ित महसूस कराते हैं. ऑफ‍िस आवर्स में पूरी मेहनत से काम करने के बावजूद, उन पर इतना दबाव रहता है क‍ि वो 12 घंटे और कभी-कभी 15 घंटे भी काम करते हैं.

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उन्होंने अपने पोस्‍ट में ल‍िखा क‍ि मैंने और मेरे साथ काम करने वाले मेरे सहयोगी कर्मचारी ने उनसे सराहना की उम्मीद छोड़ दी है. अभी हम उनसे सिर्फ यही उम्मीद करते हैं कि हमें उनसे अपमान न मिले और हमेशा नहीं बल्कि ज्यादातर हम 12 घंटे काम करते हैं और कभी-कभी 14-15 घंटे तक भी काम करते हैं.

पोस्ट में कर्मचारी ने घटना का जिक्र करते हुए कहा क‍ि मैंने अपने बॉस से ऐसे इंस्‍ट्रक्‍शन के बारे में बात की जो वास्‍तव में क्‍ल‍ियर नहीं थीं, लेक‍िन वह खुद को सही साबित करने में लगे हुए थे और मुझे बुरा महसूस कराने के लिए इधर-उधर की बातें कर रहे थे. आखिरकार, वह समस्या का समाधान भी नहीं न‍िकाल सके. उन्‍होंने कहा कि वह इस पर गौर करेंगे. लेकिन उन्‍होंने मुझे बहुत सी गंदी बातें कहीं. मैं अपने आंसू नहीं रोक सका और रोने लगा.

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