घर गंगा में समाया; लोगों पर टूटा संकट का पहाड़, देखिए कटाव से त्रस्त ग्रामीणों की दुर्दशा


सत्यम कुमार/ भागलपुर: “बाढ़ से नहीं, कटाव से डर लगता है साहब.” यह बयान उन सैकड़ों लोगों की व्यथा को बयां करता है, जो बाढ़ के साथ-साथ कटाव की भीषण त्रासदी से जूझ रहे हैं. भागलपुर के सबौर प्रखंड स्थित मसाढू गांव में कई घर देखते ही देखते गंगा की धार में समा गए. लोगों को इतना भी वक्त नहीं मिला कि वे अपने घर का सामान तक सुरक्षित निकाल पाते. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि सब कुछ तबाह हो चुका है.

मजदूरी कर बनाया घर गंगा में समाया
ग्रामीणों के अनुसार, उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है. मजदूरी कर जैसे-तैसे अपना घर बनाने वाले लोग अब बेघर हो गए हैं. उपेंद्र मंडल नामक एक ग्रामीण ने बताया, हमने 7 लाख रुपये की लागत से घर बनाया था, लेकिन महज चार साल में ही वह गंगा में समा गया. अब घर के साथ-साथ जमीन भी चली गई, और हमें किराए पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. अगर हमारे पास कुछ जमा पूंजी नहीं बची होती, तो जीवन यापन मुश्किल हो जाता.

प्रदीप मंडल ने भी अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, हाल ही में हमने दो मंजिला मकान बनाया था, लेकिन गंगा ने सब कुछ तबाह कर दिया. एक बार घर बनाने के लिए पूरी पूंजी लग जाती है और यहां तो घर के साथ सामान भी चला गया. बची हुई जमा राशि भी खत्म हो गई है. दूसरी बार घर बनाने में तो पूरी जिंदगी ही खत्म हो जाएगी.

भोजन का संकट
ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि भोजन जुटाना भी चुनौती बन गया है. राहत कैंप तो लगाए गए हैं, लेकिन वे इतनी दूर हैं कि वहां बच्चों को लेकर जाना मुश्किल हो रहा है. लोग जैसे-तैसे सूखा चूड़ा और सत्तू खाकर गुजारा कर रहे हैं. प्रदीप मंडल ने कहा, न जाने कितने दिन इस तरह जिंदगी कटेगी. अगर जल्द ही स्थिति नहीं संभाली गई, तो आने वाले समय में कई गांवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.

Tags: Bihar News, Local18



Source link

x