चीन ने कर दिया कमाल! बना डाली 100 साल से ज्यादा चलने वाली बैटरी, नहीं पड़ेगी चार्ज करने की जरूरत


नई दिल्ली. चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अत्याधुनिक परमाणु बैटरी विकसित करने का दावा किया है, जो सैकड़ों वर्षों तक लगातार बिजली उत्पन्न कर सकती है. इस बैटरी की खासियत यह है कि इसमें एक फोटोनिक सेल का उपयोग किया गया है, जो इसके कुल ऊर्जा रूपांतरण दक्षता को मौजूदा प्रतिस्पर्धी तकनीकों की तुलना में हजारों गुना बढ़ा देता है. यह शोध प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका “नेचर” में प्रकाशित हुआ है.

बैटरी को विकसित करने वाली टीम ने अल्फा किरणों का इस्तेमाल किया है, जो रेडियोएक्टिव आइसोटोप के खत्म होने के दौरान उत्पन्न होती हैं. अब तक इस क्षेत्र में ज्यादातर शोध बीटा रेडिएशन पर केंद्रित रहे हैं, लेकिन चीनी वैज्ञानिकों ने अल्फा रेडिएशन की प्रबल क्षमता का उपयोग करके एक नई तकनीक की ओर कदम बढ़ाया है.

अल्फा रेडिएशन से बढ़ी क्षमता
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अल्फा-रेडियोआइसोटोप का उच्च रेडिएशन ऊर्जा स्तर जो 4 से 6 मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (MeV) तक होता है, माइक्रो-न्यूक्लियर बैटरियों के लिए बेहद प्रभावी साबित हो सकता है. इसकी तुलना में बीटा-रेडियोआइसोटोप का ऊर्जा स्तर बहुत कम, केवल कुछ हजार किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (keV) तक ही पहुंच पाता है. हालांकि, अल्फा कणों की ठोस पदार्थों में पैठ बहुत कम होती है, जिससे आत्म-अवशोषण की समस्या उत्पन्न होती है और ऊर्जा का बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है.

सूझोऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वांग शुआओ, जो इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक हैं, का कहना है कि आत्म-अवशोषण के कारण अल्फा-रेडियोआइसोटोप आधारित बैटरियों की उत्पादन क्षमता अक्सर उम्मीद से कम हो जाती है. वांग, जिनका परमाणु कचरे के प्रबंधन और आपातकालीन उत्तरदायित्व प्रोटोकॉल में विशेष योगदान रहा है, ने अब अपने सहयोगी संस्थानों के साथ मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालते हुए एक ऐसी परमाणु बैटरी विकसित की है, जिसमें ऊर्जा के बेहतर उपयोग के लिए एक विशेष लेयर जोड़ी गई है.

फोटोनिक सेल जैसी तकनीक का इस्तेमाल
इस नई बैटरी में एक “इनबिल्ट एनर्जी कन्वर्टर” नामक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो एक पॉलिमर परत होती है. यह परत रौशनी को ऊर्जा को में परिवर्तित करती है और फिर इसे बिजली में बदल देती है, बिल्कुल एक सौर पैनल की तरह.

शोध के अनुसार, केवल 11 माइक्रो क्यूरी 243Am नामक रेडियोधर्मी रासायनिक तत्व का उपयोग करते हुए इस बैटरी ने अल्फा किरणों से उत्पन्न प्रकाश (रेडियोलुमिनेसेंस) को बिजली में बदला. इस प्रक्रिया की ऊर्जा रूपांतरण दक्षता 3.43 प्रतिशत पाई गई, जो अत्यधिक प्रभावी मानी जा रही है.

दीर्घकालिक उपयोग और उच्च स्थिरता
शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह परमाणु बैटरी रेडियोधर्मिता को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है और इसका जीवनकाल अत्यंत लंबा होता है. यह बैटरी तापमान के उतार-चढ़ाव से भी अप्रभावित रहती है. बैटरी की कुल ऊर्जा रूपांतरण दक्षता 0.889 प्रतिशत मापी गई है और यह 139 माइक्रोवाट प्रति क्यूरी का उत्पादन करती है.

इस बैटरी का प्रदर्शन 200 घंटे तक लगातार परीक्षण के दौरान लगभग अपरिवर्तित रहा. चूंकि 243Am का आधा जीवन कई शताब्दियों तक फैला हुआ है, इसलिए बैटरी की उम्र भी उतनी ही लंबी हो सकती है.

परमाणु बैटरी के क्षेत्र में ऐतिहासिक सफलता
चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रमुख समाचार पत्र “साइंस एंड टेक्नोलाॅजी डेली” ने इस उपलब्धि को पिछले कुछ दशकों में परमाणु बैटरी के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं में से एक बताया है. इस तकनीक से न केवल चीन की परमाणु सुरक्षा और सतत विकास की रणनीतिक आवश्यकताएं पूरी होती हैं, बल्कि परमाणु कचरे के पुनः उपयोग के लिए भी एक नया दृष्टिकोण खुलता है.

समाचार पत्र के अनुसार, इस सफलता से उन एक्टिनाइड समस्थानिकों का उपयोग करने के नए रास्ते खुलते हैं, जिन्हें अब तक परमाणु ईंधन चक्र के बाहर कम आंका जाता था. यह बैटरी न केवल लंबी आयु प्रदान करती है, बल्कि इसकी ऊर्जा क्षमता भी उच्च स्तर पर है, जो भविष्य में स्थायी ऊर्जा स्रोतों के रूप में क्रांति ला सकती है.

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