चैत्र नवरात्रि की आज महाअष्टमी, दो शुभ योग भी, जरूर चढ़ाएं ये सामग्री, जानें मुहूर्त, पूजा विधि, भोग


परमजीत कुमार/देवघर: आज यानी 16 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी तिथि है. चैत्र की दुर्गा अष्टमी का बहुत बड़ा महत्व है. आज मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाएगी. माना जाता है कि इस दिन माता दुर्गा खुद धरती पर आती हैं. तो आज आप भी महा अष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त और विधि पूर्वक मां की आराधना कर शुभ फल की प्राप्ति कर सकते हैं.

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि 16 अप्रैल को महा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. चैत्र नवरात्रि में महाअष्टमी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी दिन माता दुर्गा ने असुर चंड और मुंड का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी, इसलिए इस दिन अगर आप विधि विधान के साथ माता दुर्गा की पूजा करते हैं तो आपके सारे शत्रुओं का नाश हो जाता है.

कब से शुरू होगी अष्टमी तिथि
ज्योतिषाचार्य ने Local 18 को बताया कि अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल को रात 11 बजकर 12 मिनट से हो जाएगी, जो 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक ही रहेगी. हालांकि, उदया तिथि के अनुसार अष्टमी तिथि का व्रत 16 अप्रैल को ही रखा जाएगा. लेकिन, प्रयास करें अष्टमी की पूजा दोपहर के पहले कर लें.

बन रहे हैं दो शुभ योग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अष्टमी तिथि के दिन दो शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है. इसमें एक धृति और दूसरा शूल योग है. इन दो योग में माता दुर्गा की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है.

इस मुहूर्त में करें कन्या पूजन
अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन कराया जाता है. कन्या पूजन से जीवन में आने वाले सभी दुखों का नाश हो जाता है. इससे माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं. भक्त पर अपनी विशेष कृपा साल भर बनी रहती है. अगर आप अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना चाहते हैं तो सुबह 7 बजकर 21 मिनट से लेकर 11 बजकर 5 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. कन्या पूजन में 3 साल से लेकर 8 साल की बच्ची को भोजन कराने का विधान है.

अष्टमी की पूजा विधि और भोग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन महागौरी की पूजा की जाती है, जिसमें लाल वस्त्र पहनकर माता को घी का दीपक जलाकर पूजा करनी चाहिए. साथ ही नारियल या नारियल से बने मिठाई का भोग अवश्य लगाएं. गुड़हल फूल माता गौरी पर अर्पण करें. अष्टमी तिथि के एक दिन माता को चुनरी एवं सोलह श्रृंगार अवश्य अर्पण करना चाहिए. माता महागौरी को रोली, चंदन, अक्षत और लाल कपड़े में ₹1 का सिक्का, लौंग और कपूर बांधकर अर्पण करते हैं तो माता प्रसन्न होती हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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