छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम में छत्रपति का क्या मतलब है? जान लीजिए जवाब



<p class="p1" style="text-align: justify;">महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा<span class="s1">&nbsp;</span>सोमवार को ढह गई<span class="s1">. </span>ये प्रतिमा<span class="s1"> 35 </span>फुट ऊंची थी और इसका अनावरण पीएम मोदी ने किया था<span class="s1">. </span>जिसके बाद से ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं<span class="s1">. </span>बता दें छत्रपति शिवाजी महाराज कुशल शासक, सैन्य रणनीतिकार, एक वीर योद्धा, मुगलों का सामना करने वाले और सभी धर्मों का सम्मान करने वाले राजा थे.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">उनके नाम से दुश्मन भी खौफ खाते थे. उन्होंने अपने पिता शाहजी को खूंखार आदिलशाह की कैद से छुड़ाया था. इसके अलावा औरंगजेब को भी वो नाको चने चबाने पर मजबूर कर चुके थे. उनकी प्रजा उनकी छत्रछाया में बहुत खुश थी. छत्रपति शिवाजी के वीर गाथाएं आज भी लोग जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम में छत्रपति का क्या मतलब है और उन्हें ये उपाधि कब मिली? चलिए जानते हैं.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>शिवाजी महाराज को कब मिली छत्रपति की उपाधि?</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">छत्रपति शिवाजी महाराज को छत्रपति की उपाधि एक घटना के बाद मिली. दरअसल शिवाजी महाराज के पिता <span class="Apple-converted-space">&nbsp; </span>शाहजी को जब आदिलशाह ने कैद कर लिया था तो उन्होंने अपने पिता को अपनी कुशलता और रणनीतिक कौशल के जरिये कुछ ही समय में छुड़वा लिया था. साथ ही उन्होंने जावेली और पुरंदर की हवेली पर भी कब्जा कर लिया था.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">इस घटना के बाद औरंगजेब ने शिवाजी को पकड़ने के लिए दोस्ती का जाल फेंका. उसने जयसिंह और दिलीप खान को पुरंदर संधि पर हस्&zwj;ताक्षर करने के लिए शिवाजी के पास भेजा. इस संधि के बाद शिवाजी महाराज को मुगल शासक को 24 किले सौंपने पड़े. इसके बाद औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाया और धोखे से कैद कर लिया, लेकिन ज्यादा दिन तक वो शिवाजी महाराज को अपनी कैद में नहीं रख पाया. शिवाजी जल्द ही औरंगजेब की जेल से भाग निकले. इसके बाद वो औरंगजेब की चाल को पूरी तरह समझ चुके थे. इसके बाद उन्होंने न सिर्फ औरंगजेब की सेना को धूल चटाई बल्कि सभी 24 किलो पर फिर से कब्जा कर लिया. इस बहादुरी के बाद उन्हें 6 जून 1974 को रायगढ़ किले में छत्रपति की उपाधि दी गई थी.</p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम में ये है छत्रपति का मतलब</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">छत्रपति में छत्र का मतलब एक प्रकार का मुकुट होता है जिसे देवताओं द्वारा पहना जाता है. वहीं छत्रपति में पति से तात्पर्य गुरु से होता है. शिवाजी महाराज ने खुद को राजा या सम्राट की जगह हमेशा लोगों को रक्षक माना था. यही वजह है कि उन्हें इस उपाधि से सम्मानित किया गया था.</p>
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