जम्‍मू-कश्‍मीर में जमात-ए-इस्‍लामी की नई चाल, चुनाव को लेकर तैयार की नई स्‍ट्रैटजी, किसको फायदा, किसको नुकसान – Exclusive Jammu Kashmir Assembly Election 2024 Proscribed Jamaat-e-Islami Preparation PDP NC Congress


नई दिल्‍ली/श्रीनगर. जम्‍मू-कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों के साथ ही अन्‍य प्रतिबंधित संगठन भी हरकत में आ गए हैं. राष्‍ट्र की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा करार जमात-ए-इस्‍लामी पर लगे प्रतिबंध को इसी साल 5 सालों के लिए बढ़ा दिया गया था. घाटी में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही जमात-ए-इस्‍लामी भी हरकत में आ गया है. चुनाव में भी जमात भी अपने उम्‍मीदवारों को उतारने की कोशिशों में जुटा है. प्रतिबंध के बावजूद जमात-ए-इस्‍लामी जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति तैयार की है और अपने मंसूबों को अंजाम देने में जुटा है.

प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्‍लामी घाटी में चुनाव से अपनी खोई राजनीतिक ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है. दक्षिण कश्मीर के बाद अब नॉर्थ और सेंट्रल कश्मीर में भी करीब 10 समर्थित उम्मीदवार उतारने की तैयारियों में जुटा है. इसमें अहम चेहरा है सयार अहमद रेशी. जमात-ए-इस्‍लामी ने चुनावी चाल के तहत अपने एजुकेशनल ट्रस्ट फलाह-ए-आलम के असिस्टेंट डायरेक्टर सयार अहमद रेशी को बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारा है. इसी साल सयार अहमद के ठिकानों पर टेरर फंडिंग मामले में NIA का छापा पड़ा था. बहरहाल जमात-ए-इस्‍लामी की सक्रियता का जम्‍मू-कश्‍मीर के राजनीतिक दलों पर असर पड़ सकता है.

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चुनाव में उतार रहा निर्दलीय प्रत्‍याशी
जमात-ए-इस्‍लामी फिलहाल दक्षिण कश्मीर से 3 जमात समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं. अब कुपवाड़ा और केरन सेक्टर में जमात उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर रहा है. खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जमात ने अपने चुनावी प्लान के तहत अनुभवी कैडरों को चुनावी मैदान में उतारा है. इनकी उम्र 50 साल के आसपास है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इसके पीछे जमात का मकसद अपने पुराने कार्यकर्ताओं को कश्मीर की चुनावी मुख्यधारा में लाना है. ये लोग पिछले तीन दशक से संगठन के लिए काम कर रहे हैं.

जमात-ए-इस्‍लामी के 3 प्रत्‍याशी

  • तलत मजीद: पुलवामा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
  • सयार अहमद रेशी: कुलगाम से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
  • नजीर अहमद भट: 40-देवसर विधानसभा क्षेत्र के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा है.

खाली चुनावी फॉर्म
जानकारी के अनुसार, जमात समर्थित कई उम्मीदवारों के पास खाली चुनावी फॉर्म मिले हैं. कश्मीर के इलेक्शन रिटर्निंग ऑफिसर को ये फॉर्म मिले हैं. अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए जमात ने अपने कार्यकर्ताओं को चुनावी फॉर्म भरने के निर्देश दिए होंगे.

विवादित चेहरा सयार अहमद रेशी
विवादों में रहे सयार अहमद रेशी फलाह-ए-आम ट्रस्ट (एफएटी) का सहायक निदेशक है. यह संगठन संगठन जमात से जुड़ा है और कई स्‍कूल चलाता है. इस साल के शुरुआत में NIA ने सयार अहमद के ठिकानों पर छापा मारा था. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनावों का समर्थन कर रहा है. यह संगठन का महत्‍वपूर्ण कदम है. इस कदम के पीछे एकमात्र उद्देश्य प्रतिबंध को हटाना है, ताकि संगठन काम कर सके और अपने उद्देश्यों को पूरा कर सके.

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