जल संरक्षण को लेकर सीवान के युवाओं ने उठाया बीड़ा, गांव जाकर लोगों को कर रहे हैं जागरूक



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अंकित कुमार सिंह/सीवान. बिहार के सीवान जिला में युवाओं ने जल संरक्षण को लेकर मुहिम छेड़ रखा है. युवा पानी को बचाने, कम से कम खपत एवं जल की बर्वादी को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठा लिया है. इसके लिए सीवान के सभी 19 प्रखंडों में युवक एवं युवतियों के द्वारा व्यापक स्तर पर मुहिम चलाया जा रहा है. युवाओं के इस सराहनीय कदम को लोग भी सराहना कर रहे हैं. जिले के विभिन्न प्रखंडों एवं पंचायतों में एक सप्ताह तक मुहिम चलाकर जागरूक करेंगे .इस मुहिम में सामाजिक कार्यकर्ता भी जुड़ कर बच्चों का साथ दे रहे हैं.

सीवान में जल संरक्षण को लेकर मुहिम चला रहे युवाओं ने बताया कि जीवित प्राणियों के लिए पानी काफी आवश्यक है. इसके बिना जीवन संभव नहीं है. पानी आज के समय में अमृत के समान है. अगर हम लोग इसे सुरक्षित और संरक्षित नहीं कर पाए तो आने वाले कुछ ही दिनों में सभी को जल संकट से जूझना पड़ सकता है. युवाओं ने बताया कि सामाजिक संस्थान के साथ-साथ सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट भी जल संरक्षण को लेकर कई मुहिम चला रही है. इसके बावजूद लोग धड़ल्ले से पानी को बर्बाद कर रहे हैं. जो आपदा को जन्म दे रहा है. लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए. यही वजह है साउथ अफ्रीका का केपटाउन दुनिया का पहला जल-विहीन शहर घोषित हो चुका है.

पेट्रोल की तरफ पानी खरीदकर पी रहे हैं लोग
दक्षिण अफ्रीका का शहर केपटाउन शहर को दुनिया का पहला जल-विहीन शहर घोषित किया जा चुका है, क्योंकि यहां की सरकार ने 14 अप्रैल 2023 के बाद पानी की आपूर्ति करने में असमर्थता दिखाई है. वहां नहाने पर रोक लगा दी गयी है. 10 लाख लोगों के कनेक्शन काटने की तैयारी चल रही है, जिस तरह भारत में पेट्रोल पंप जाकर पेट्रोल खरीदा जाता है, वैसे हीं केपटाउन में जगह-जगह पानी के टैंकर लगाकर 25 लीटर हीं पानी लोगों को मिल रहा है. ज्यादा पानी मांगने या पानी लूटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस और सेना के लोग तैनात किए गए हैं, वहीं पूरे विश्व का केवल 2.7 फीसदी जल ही पीने योग्य है.

गिरते भू-जल स्तर से सीवान में लोग भी परेशान
गिरते भू-जल स्तर के बारे में सरकार की रिपोर्ट ही कहती है कि हर साल इसमें गिरावट आ रही है. गिरते जल स्तर से पानी की क्वालिटी पर भी असर पड़ा है. सीवान में पेयजल और सिंचाई के लिए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. विधान सभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण-2023 में बताया गया है कि मानसून से पहले भू-जल स्तर का आंकड़ा खतरनाक संकेत दे रहा है. सीवान, गोपालगंज, सारण, औरंगाबाद जैसे कई जिले के भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. हर जिले में आधा से एक मीटर नीचे जल स्तर चला गया है.

खेती में उपयोग होता है 80 फीसदी भूमिगत जल
जिले में 80 फीसदी भूमिगत जल का प्रयोग खेती के काम हो रहा है.10 फीसदी पीने के लिए और 10 फीसदी पानी दूसरे कार्यों में उपयोग या फिर दुरूपयोग हो रहा है. वर्तमान में सीवान का चंवरी क्षेत्र में 30 से 35 फीट पर पानी उपलब्ध हो जाता है. जबकि बांगर क्षेत्र में पानी की उपलब्धता 40 से 45 फीट पर है. सामान्य तौर पर गांवों की अपेक्षा शहरों में भूगर्भ जलस्तर नीचे ही पाया जा रहा है. सीवान जैसे शहर में 45 से 50 फीट पर पानी मिल जाता है. हालांकि यह पानी पीने योग्य नहीं होता है. जानकारों की माने तो हर साल फरवरी मार्च की तुलना में मई- जून तक भूगर्भ जल 2 से 3 फीट नीचे चला जाता है. जिस साल मानसून की बारिश अच्छी होती है, उस साल जलस्तर में जुलाई-अगस्त तक बढ़ोतरी हो जाती है. सीवान के ग्रामीण क्षेत्रों मे स्वच्छ जल के लिए 100 से 150 फीट बोरिंग करना पड़ता है. जबकि शहर में 150 से लेकर 200 और 250 फीट तक बोरिंग करने के बाद हीं पानी मिल पा रहा है.

Tags: Local18, Water conservation



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