जालौर की ऐतिहासिक धरोहर: सुंदेलाव तालाब पर 700 साल पुरानी सुंदर राईका की मूर्तियां


सोनाली भाटी/ जालौर: जालौर का ऐतिहासिक सुंदेलाव तालाब, जिसे सातवीं शताब्दी में प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वारा अपनी माता सुंदर देवी की स्मृति में बनवाया गया था, आज भी राजस्थानी धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस तालाब का पानी करीब 13 वर्षों तक राजाओं और आमजन द्वारा उपयोग में लिया गया था.

ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक महत्व
सुंदेलाव तालाब की छतरियां और मूर्तियां जालौर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को बखूबी दर्शाती हैं. देवासी समाज का मानना है कि लगभग 700 साल पहले यहां सुंदर भाड़का और सुंदर राईका की मूर्तियां स्थापित की गई थीं, जो समाज के लिए श्रद्धा और गौरव का प्रतीक मानी जाती हैं.

ऐतिहासिक तथ्य और योगदान
इतिहासकार संदीप जोशी के अनुसार, सुंदेलाव तालाब का निर्माण जालौर के राजा कान्हादेव ने करवाया था, और इसकी ऐतिहासिक छतरी जैसलमेर के सुंदर राईका की स्मृति में बनाई गई थी. इस तालाब और इसके आसपास की मूर्तियां न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि यह जालौर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी संजोए हुए हैं.

स्थानीय आस्था और श्रद्धा का केंद्र
स्थानीय लोगों के लिए सुंदेलाव तालाब न केवल पानी का स्रोत है, बल्कि श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र भी है. यहां बनी छतरियां और मूर्तियां जालौर के गौरवशाली अतीत की कहानी कहती हैं. पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए यह स्थल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है.

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