जिस तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिली पशु चर्बी, आखिर वहां किसकी होती है पूजा, आखिर कौन हैं भगवान वेंकटेश्वर?
Tirupati Balaji Or Lord Venktashwar Temple: तिरुपति मंदिर की रसोई में बनने वाले लड्डू में पशुओं की चर्बी के अंश मिलने की रिपोर्ट से देशभर में हंगामा मचा हुआ है. दरअसल, प्रसाद बनाने में प्रयोग किए गए घी में चर्बी मिले होने की रिपोर्ट आई है. इस पर राजनीति चरम पर है. इसे सीधे तौर हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ बताया जा रहा है. खैर हम इस पर बात नहीं कर रहे हैं. इसी बहाने आज इस खूबसूरत मंदिर की कहानी पर चर्चा करते हैं.
यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में है. इसे तिरुपति बालाजी या फिर श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह हिंदुओं का एक सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. यह एक सबसे अमीर मंदिर भी है. यहां देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु करोड़ों रुपये दान में देते हैं. यहां हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यह भगवान वेंकटेश्वर का निवास स्थान है जो शेषचलम पहाड़ियों पर स्थित है. शेषचलम की पहाड़ियों में सात चोटियां हैं. ये चोटियां शेषनाग के फन की प्रतीक हैं.
भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर को तोंडमन राजा ने बनाया गया था और फिर चोल, पांड्य और विजयनगर के शासकों ने समय-समय पर इस मंदिर में कई बदलाव किए. मंदिर में पूजा और अनुष्ठान की विधि 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने औपचारिक रूप स्थापित की. ये पहाड़ियां समुद्र तल से 980 मीटर ऊपर हैं और इनका क्षेत्रफल लगभग 10.33 वर्ग मील है.
आय के मामले में तिरुमाला मंदिर रोम के वेटिकन शहर के बाद दूसरे स्थान पर है. मुख्य मंदिर वेंकटाद्री नामक सातवीं चोटी पर स्थित इस मंदिर की स्थापना की तारीखों को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन नौंवी शताब्दी के साक्ष्यों में यहां धार्मिक गतिविधियों का जिक्र मिलता है. यानी यह मंदिर करीब 1500 साल पुराना बताया जाता है.
दक्षिण भारत में भगवान विष्णु को बालाजी या श्रीवेंकटेश्वर स्वामी के नाम से जाना जाता है. यानी यह भगवान विष्णु का मंदिर है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक धरती पर भगवान राम और श्रीकृष्ण भी विष्णु के अवतार हैं. भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है. वहीं ब्रह्मा को सृजनकर्ता और भगवान शिव को संहारक माना जाता है.
तिरुपति में वेकुला देवी का भी मंदिर है. वेकुला देवी भगवान वेंकटेश्वर की मां थीं. यहीं पर गोविंदराजस्वामी मंदिर भी है. इस मंदिर का निर्माण 1130 सदी में संत रामानुजाचार्य ने करवाया था. यह मंदिर बहुत बड़ा है. इस तरह यहां कई अन्य प्राचीन मंदिर हैं. बेहद खूबसूरत प्रकृतिक वतावरण में बने ये मंदिर बेहद आकर्षक हैं.
इस मंदिर की पूरी व्यवस्था की देखरेख तिरुमला तिरुपती देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड करता है. यह बोर्ड आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन काम करता है. इस बोर्ड के प्रमुख और सदस्यों की नियुक्ति आंध्र प्रदेश सरकार करती है.
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FIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 17:34 IST