जुड़वा बेटों को हुई गंभीर बीमारी, मां ने नहीं मानी हार, डटकर किया सामना…फिर बदली दोनों की किस्मत


विशाल भटनागर/ मेरठ:- समाज भले ही किसी व्यक्ति को एक्सेप्ट करें ना करें. लेकिन मां हमेशा अपने बच्चों के साथ विषम से विषम परिस्थिति में भी खड़ी रहती है. कुछ इसी तरह का नजारा मेरठ के बलवंत नगर में भी देखने को मिला है. दरअसल बलवंत नगर में रहने वाली सुधा गोयल ने वर्ष 1995 में दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था, जो सेरेब्रल पाल्नासी नामक गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे. इसके बाद डॉक्टरों की विशेष सलाह के बाद मां ने दोनों ही बेटों की देखभाल इतने अच्छे से की कि आज दोनों युवा समाज में मिसाल पेश करते हुए नजर आ रहे हैं.

घंटों करनी पड़ती थी देखभाल
सुधा गोयल लोकल18 को बताती हैं कि 9 माह की उम्र में बच्चों ने बोलना शुरू कर दिया था. लेकिन जिस स्थान पर भी लेटा दिया जाए, वह उसी करवट में लेते रहते थे. करवट बदलने में दोनों भाइयों को परेशानी होती थी. जब विशेषज्ञ को दिखाया गया, तो पता चला कि दोनों सेरेब्रल पाल्सी नामक गंभीर बीमारी से ग्रस्त है. जिसे सरवाइव करना एक कठिन चुनौती होती है. लेकिन सुधा अपने बच्चों को डॉक्टर को दिखाती रहीं. डॉक्टर द्वारा दोनों को थेरेपी के लिए विशेष टिप्स दिए गए थे, उनको निरंतर फॉलो किया. जिसके लिए कई घंटे तक बच्चों का ध्यान रखना पड़ता था.

कभी स्कूल में नहीं मिला था एडमिशन
सुधा गोयल एक किस्से का जिक्र करते हुए Local18 को बताती हैं कि जब वह अपने जुड़वा बेटे आयुष पीयूष का 9वीं में एडमिशन कराने के लिए शहर के एक बड़े स्कूल में गई, तब स्कूल प्रशासन ने दोनों भाइयों की हालत देखने के पश्चात उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया. समाज के लोग ताने भी देते थे कि आखिर क्यों इस तरीके से दोनों को शिक्षा दिलाना चाहती हो. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और शहर के ही एक अन्य स्कूल में एडमिशन कराया.

दोनों दिव्यांग भाई हाईस्कूल व इंटर में बेहतर प्रदर्शन करते हुए प्रथम डिवीजन से पास हुए. वहीं वर्तमान समय में वह बीएड की पढ़ाई भी पूरी कर चुके हैं. वह कहती हैं कि जीवन में मेरे लिए सबसे ज्यादा सुखद पल वह था, जब स्कूल ने एडमिशन देने से उनके बच्चों को मना कर दिया था. आज उन्हीं स्कूल में प्रेरणा के तौर पर दोनों भाइयों को बतौर चीफ गेस्ट बुलाया जाता है.

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सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग पुरस्कार से सम्मानित 
बताते चलें की दोनों ही भाइयों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. सुधा गोयल के पति भी बताते हैं कि जिस तरीके से उनकी पत्नी ने लग्न के साथ घर के काम करते हुए बच्चों की परवरिश की है, उसी का उदाहरण है कि आज दोनों दिव्यांग भाई आयुष और पीयूष समाज में एक नई प्रेरणा के साथ कार्य करते हैं. पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब नाम से अपनी संस्था भी चलाते हैं.

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