जो सरकार न कर सकी वो लोगों की मेहनत और एकता ने कर दिखाया, इंडो-नेपाल बार्डर पर बना दिया बांध-government did’t do hard work and unity of the people did, a dam was built on the Indo-Nepal border


सीतामढ़ी : सीतामढ़ी जिले में इन दिनों फसलों की बुवाई हो चुकी है. लेकिन, बारिश की कमी के कारण फसल को बचाना और बेहतद उत्पादन हासिल करना चुनौती है. किसानों को महंगे डीजल के चलते अपनी फसलों को सींचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इसी दिक्कत को दूर करने के लिए किसानों ने जिले के सोनबरसा इंडो-नेपाल बॉर्डर के निकट झीम नदी पर बांध बनाने का काम शुरू किया है. बांध के जरिए जहां चार पंचायत के साथ-साथ सीमावर्ती नेपाल के किसानों को भी फायदा होगा.

सोनबरसा प्रखंड मुख्यालय से सटे उत्तरी-पूर्वी पंचायत के कई ऐसे गांव हैं, जहां के लोग अपने खेतों में खड़ी फसलों को सींचने की जद्दोजहद में जुटे हैं. स्थानीय किसानों ने बताया की क्षेत्र के 12 गांव में पटवन की सुविधा नहीं है. सरकार ध्यान नहीं दे रही, तो खुद चंदा इकट्ठा कर बनाना पड़ा. किसानों ने बताया कि 12 गांव के किसानों को इससे पानी मिलेगा. बांध के जरिए 12 गांव के किसानों को पानी मिल सकेगा. क्षेत्र के सभी किसानों के खेतों का पटवन हो सकेगा. बसतपुर कर नथुनी बैठा, इसाक बैठा, शेख मुस्तकीम सलीम बैठा समेत दर्जनों किसानो ने बताया कि इस बांध के निर्माण से क्षेत्र के सभी किसानों को सीधा लाभ मिलेगा.

इस बांध से सोनबरसा पश्चिमी पंचायत के बसतपुर, जमुनिया, जहदी, हरिहरपुर, विश्रामपुर, मयूरवा, चक्की, जमुनिया मुशहरनियां. इंदरवा पंचायत के पररिया गांव, सर्लाही. नेपाल के त्रिभुवन नगर के चार सौ से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. बताया जा रहा है की इस बांध पर लगभग दो लाख रुपए का खर्च का अनुमान है.

बांध से दो सौ एकड़ खेतों में आसानी से पटवन होगा. पिछले दो दिनों से दर्जनों किसान इस कार्य में लगे हुए हैं. बांध को अंतिम रूप दिया जा रहा है. किसानों ने बताया कि सरकार ध्यान नहीं दे रही. खेती पर बुरा असर पड़ रहा है इसलिए बांध खुद बनाना पड़ा. किसान सरकार द्वारा इस बांध को बनाए जाने को लेकर किसी प्रकार की मदद नहीं मिलने पर भी नाराज हैं.



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