तमिलनाडु में दिखा दुर्लभ ‘सफेद कौआ’, ज्योतिष का दावा- भारत के लिए हो सकता है अपशकुन
तूतीकोरिन: तमिलनाडु के कोविलपट्टी क्षेत्र की गलियों में एक दुर्लभ अल्बिनो कौआ, सफेद रंग का कौवा दिखाई दिया. इसका मुख्य कारण अनुवांशिक उत्परिवर्तन है, जिसके वजह से इनमे रंग की कमी पाई जाती है. प्रत्यक्षदर्शियों को पहले लगा कि ये कबूतर होगा, लेकिन गौर से देखने के बाद पता चला की ये कौवा है. यह पक्षी झाड़ियों पर बैठा हुआ था. सफ़ेद कौवे को देखने वाले शख्स का नाम सुंदर बताया गया था.
सुंदर ने बताया कि, ‘पहले मुझे लगा कि ये कोई कबूतर है, लेकिन उसका आवाज सुनने के बाद पता चल गया कि ये कौवा है. मुझे आश्चर्य हुआ कि इसका इसका रंग उजला कैसे है. मैंने इस कौवे को अपने परिवार वाले को भी दिखाया, वे भी इतने ही चकित थे जितना कि मैं पहली बार देख कर हुआ था.’ सुंदर के परिजनों ने बताया कि बेटे की शोर से कौवा उड़ गया. लेकिन मैंने अपने हाथ पर पानी रखा मुझे दिखा कि ये प्यासा और थका हुआ था.
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ज्योतिष और सफ़ेद कौवा
न्यूज़18 से इंटरव्यू में पुधुकोट्टई ज्योतिषी श्री सो मा ने कहा कि कौवों को आमतौर पर ज्योतिष से जुड़े आध्यात्मिक पक्षी माना जाता है. उन्होंने बताया, ‘कौवे को हमारे पूर्वजों और शनि गृह के रूप में देखा जाता है. हर दिन हमें पूर्वजों द्वारा कौवे के रूप में नमस्कार किया जाता है. वे हमें आशीर्वाद देने के लिए हमारे पास आते हैं और अपना पेट भरने के लिए हमारा भोजन करते हैं. हम प्रत्येक अमावस्या पर अपने पूर्वजों का सम्मान करते हुए कौवों को भोजन कराते हैं.’
देश के लिए अपशकुन
उन्होंने बताया कि कौवे का कांव-कांव काफी अपशकुन माना जाता है. अगर किस इंसान के सिर के ऊपर से कौवा उड़ जाए तो खतरे का संकेत माना जाता है. बाइबल और कुरान में भी कौवे को अपशकुन माना जाता है. तमिलनाडु के थिरुपथुर क्षेत्र में पहली बार दो साल पहले एक सफेद कौआ दिखाई दिया था. सफेद रंग में कौवे राष्ट्र के लिए नकारात्मक संकेत देते हैं. उन्होंने बताया कि भारत को किसी प्रमुख व्यक्ति से गर्मजोशी से स्वागत या चीन या पाकिस्तान से खतरे का सामना करना पड़ सकता है. ज्योतिष ने बताया कि, ‘हम इसे महज एक अंधविश्वास मानकर नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. बंगाल ओड़िसा और दिल्ली के बड़े विपक्ष से शासक (सत्ता पक्ष) को प्रभावित हो सकते हैं.
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मेलेनिन वर्णक की कमी?
वहीं, जब पशु चिकित्सक से कौवे के रंग की जांच की गई तो उन्होंने कहा कि यह केवल मेलेनिन वर्णक की कमी का मामला है. मेलेनिन वर्णक की कमी के कारण, इस किस्म के कौवे की त्वचा, बाल और आंखें सफेद होती हैं, जो आमतौर पर गुलाबी रंग की होती हैं. ल्बिनो के कौवे के पैर गुलाबी होंगे. चूंकि अधिकांश अल्बिनो लंबे समय तक जीवित नहीं रहते हैं, इसलिए वे अपने जीन को अगली पीढ़ी तक नहीं पहुंचा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 01, 2023, 05:00 IST