तीसरी बार PG पढ़ाई की चाह, एडमिशन न मिलने पर छात्र ने दी सुसाइड की धमकी, भूख हड़ताल पर बैठा


बिलासपुर: पढ़ाई-लिखाई बहुत कम ही लोगों को पसंद होती है. कोई मजबूरी में तो कोई सिर्फ पास होने के लिए, तो कोई अच्छी नौकरी पाने के लिए करता है. एक क्लास पास होने के बाद, छात्र अगले क्लास में प्रमोट किया जाता है. लेकिन एक ऐसा शख्स है जो एक कोर्स को तीसरी बार करना चाहते हैं. बिलासपुर जिले के मस्तुरी स्थित शासकीय पातालेश्वर महाविद्यालय में छात्र सिकंदर टंडन ने तीसरी बार पीजी की पढ़ाई के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें कॉलेज में एडमिशन नहीं दिया गया.

नाराज होकर धरने पर बैठे
कॉलेज में एडमिशन न मिलने से सिकंदर नाराज होकर भूख हड़ताल पर बैठ गया है और आत्मदाह करने की चेतावनी दी. सिकंदर ने इस दौरान पेट्रोल और सुसाइड नोट भी साथ लाए हैं. वह कॉलेज प्रशासन से एडमिशन दिलाने की मांग कर रहा है और एडमिशन से रोकने वाली प्राचार्य और प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग कर रहा है.

एडमिशन की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
सिकंदर ने बताया कि जब उन्होंने तीसरी पीजी की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी से जानकारी ली, तो बताया गया कि तीसरी बार भी एडमिशन लिया जा सकता है, बशर्ते सीट खाली हो. इसके बाद उन्होंने 25 सितंबर को मस्तूरी के शासकीय पातालेश्वर कॉलेज में इकोनॉमिक्स सब्जेक्ट के लिए फॉर्म भरा. सीट खाली थी, लेकिन फिर भी उन्हें एडमिशन नहीं दिया गया. लगातार कॉलेज जाकर जानकारी मांगने के बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने भूख हड़ताल का निर्णय लिया.

दो विषयों में पहले ही कर चुका है पढ़ाई
महाविद्यालय के प्राचार्य भोजराम खूंटे ने कहा कि सिकंदर टंडन पहले ही दो विषयों में पीजी की पढ़ाई कर चुका है, यही कारण है कि उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा रहा. उन्होंने बताया कि कॉलेज की स्टाफ कमेटी ने निर्णय लिया है कि कोई भी छात्र या छात्रा यदि तीसरी बार स्नातक और पीजी की पढ़ाई करना चाहता है, तो उसे प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

यूनिवर्सिटी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन
बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय से शासकीय पातालेश्वर कॉलेज मस्तूरी को मान्यता प्राप्त है. इस विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई ऐसा नियम नहीं है जो तीसरी बार पीजी की पढ़ाई करने से रोकता हो. छात्र सिकंदर ने पहले भी इस कॉलेज से हिंदी और राजनीति शास्त्र में पीजी की पढ़ाई की है, लेकिन अब उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा रहा.

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