थाने में मिली स्कूटी तो खुला राज! पुलिस ने बेटे के शव को अज्ञात समझ कर दिया दाह संस्कार, अब परिजनों में आक्रोश


गया:- 27 सितंबर को दोपहर 2:20 बजे परैया थाना क्षेत्र के कोशडीहरा गांव के समीप एक युवक की सड़क दुर्घटना हो जाती है. सड़क दुर्घटना में वह बुरी तरह घायल हो जाता है, जिसके बाद स्थानीय पुलिस की मदद से उस युवक को गया के मेडिकल कॉलेज में लाया जाता है. लेकिन तबतक उस युवक की मौत हो जाती है. मौत होने के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही उसका पोस्टमार्टम किया जाता है. फिर अज्ञात शव समझकर डेड बॉडी को अस्पताल के शीतगृह में 72 घंटे तक रखा जाता है और जब इस युवक की पहचान नहीं होती है, तो पुलिस के द्वारा इसका दाह संस्कार कर दिया जाता है.

घटना के 10 दिन बाद मृतक युवक के परिजनों को किसी तरह यह जानकारी मिलती है कि उनकी स्कूटी परैया थाना में लगी हुई है. थाना पहुंचने के बाद परिजन को पता चलता है कि इस स्कूटी चलाने वाले युवक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है. परिजनों के द्वारा जब डेडबॉडी की डिमांड की गई, तो पुलिस ने बताया उसके शव का दाह संस्कार कर दिया गया है.

घटना के 10 दिन बाद परिवार को हुई जानकारी
बता दें कि सड़क दुर्घटना में मारे गये युवक का नाम मो. शहाबुद्दीन था, जो गया शहर के करीमगंज का रहने वाला था. घटना के 10 दिन बाद उनके परिवार को यह जानकारी होती है. अब परिजनों का आरोप है कि घटना वाले दिन घटनास्थल से पुलिस ने स्कूटी और मोबाइल बरामद किया था. लेकिन पुलिस ने इनके बेटे की शिनाख्त करने में लापरवाही बरती है और अज्ञात शव कहकर उसका दाह संस्कार करवा दिया है. अगर पुलिस तत्परता से छानबीन करती, तो शायद हम अपने बच्चे का मुंह देख पाते.

अब जब पीड़ित परिवार अपने बच्चे की डेडबॉडी की डिमांड कर रही है, तो पुलिस के पसीने छूट रहें हैं. एफआईआर रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया है. लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव कहां गया, पुलिस भी इस बात से अंजान है. पुलिस का कहना है कि डेडबॉडी की जिम्मेदारी चौकीदार को दी गई थी, वही बताएगा कि बॉडी का क्या किया गया. जिस चौकीदार को ड्यूटी दी गई थी, वह पिछले चार साल से अपने ससुर की जगह चौकीदारी कर रहा था.

पोस्टमार्टम के 3 दिन बाद शव का अंतिम संस्कार
मृतक शहाबुद्दीन के पिता गुलाम हैदर लोकल 18 को बताते हैं कि जब उन्होंने थाने में पुलिस से डेडबॉडी की डिमांड की, तो पुलिस ने बताया कि पोस्टमार्टम के तीन दिन बाद शव को अंतिम संस्कार करने के लिए बॉडी चौकीदार को दे दिया गया है, वही बताएगा कि डेडबॉडी के साथ क्या किया है. दूसरे दिन फिर थाने जाकर चौकीदार से बात किया, तो उसने बताया कि उसने डेडबॉडी को एक लोकल आदमी को शव डिस्पोज करने के लिए दे दिया. उसने बॉडी के साथ क्या किया, किसी को नहीं पता. पिछले 5 दिन से हम पुलिस से डेडबॉडी की डिमांड कर रहे हैं, तो पुलिस का कहना है शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.

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पुलिस ने बरती लापरवाही
इस तरह की घटना के बाद करीमगंज मुहल्ले के लोगों में पुलिस के प्रति काफी आक्रोश था और पुलिस के कार्य पर भी दु:खी थे. मुहल्ले के लोगों का कहना था कि घटना स्थल पर शहाबुद्दीन की मोबाइल और स्कूटी के नंबर से परिजनों को खोजबीन किया जाता, तो उसकी शिनाख्त हो जाती. लेकिन पुलिस ने अपने काम में लापरवाही बरती है. शहाबुद्दीन को न्याय दिलाने और धर्म के आधार पर अज्ञात शव का अंतिम संस्कार करने की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकालने वाले थे, जिसके बाद रविवार की शाम पुलिस बल मृतक के घर पहुंचकर परिजनों को समझाने की कोशिश की और आश्वासन दिया कि उनके साथ न्याय किया जाएगा.

इस संबंध में टिकारी के एसडीपीओ सुशांत कुमार चंचल ने Local 18 को बताया कि इस घटना में जिस भी पुलिसकर्मी या अधिकारी के द्वारा लापरवाही बरती गई है, उन्हें चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी. हमलोगों ने मृतक के परिजनों से मुलाकात की है और इनकी मांगों को सुन लिया गया है. इन्होने बताया कि इस मामले में हमलोग जांच कर रहे हैं.

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