दरभंगा के महाराज ने की थी काली मंदिर की स्थापना, 28 हजार रुपए की अजमेर से मंगवाई थी मूर्ति, जानें रहस्य


मधुबनी : मिथिला में अनेक मंदिर हैं, और हर मंदिर की अपनी एक अनोखी कहानी है. ऐसी ही एक कहानी मधुबनी जिले के राजनगर स्थित राज पैलेस में मौजूद मां काली के भव्य और ऐतिहासिक मंदिर की है. इस मंदिर का निर्माण महाराज दरभंगा के वंशज महाराज महेश्वर सिंह द्वारा कराया गया था, जिनका शासनकाल 1850 से 1860 तक रहा.

मंदिर की स्थापना की कहानी
कहा जाता है कि महाराज दरभंगा जहां भी अपना महल बनवाते थे, वहां अपनी कुलदेवी काली का मंदिर भी अवश्य स्थापित करते थे. इसी परंपरा के तहत राजनगर पैलेस में अन्य देवी-देवताओं के साथ-साथ मां काली का यह भव्य मंदिर भी बनवाया गया, जो आज आस्था का प्रमुख केंद्र है. संगमरमर और सफेद पत्थरों से निर्मित यह मंदिर देखने में अत्यंत आकर्षक है और भक्तों के मन में विशेष स्थान रखता है.

मूर्ति की स्थापना की कहानी
महाराज महेश्वर सिंह जहां भी होते, प्रतिदिन अपनी कुलदेवी काली की पूजा अवश्य करते थे. जब वे राजनगर पहुंचे, तो उन्होंने अजमेर से 28 हजार की लागत से मां काली की 6 मूर्तियां बनवाईं. मंदिर को मंत्र-तंत्र और वैदिक विधियों के अनुसार निर्मित किया गया था, जिसका प्रमाण मंदिर के बीचों-बीच देखा जा सकता है. हालांकि, अब आम लोगों के लिए मूर्ति को छूना वर्जित है और चारों ओर शीशे से घेर दिया गया है, केवल पुजारी ही अंदर जाकर पूजा करते हैं.

अद्भुत रहस्य
मंदिर में एक विशाल घंटा है, जिसे आरती के समय बजाया जाता था. इसकी आवाज लगभग पांच किलोमीटर दूर तक सुनाई देती थी, लेकिन अब इसे बजाने पर रोक लगा दी गई है. मंदिर के पीछे एक गुप्त सुरंग भी है, जो राजनगर से दरभंगा के किले तक जाती थी. हालांकि, सुरक्षा कारणों से इसे कई साल पहले बंद कर दिया गया है.

मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम आरती होती है, और नवरात्रि व काली पूजा के समय विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. यहां दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं, और विशेषकर नवविवाहित जोड़े शादी के बाद माता के दर्शन के लिए अवश्य आते हैं.

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