दिल्ली के इस क्रूर शासक ने चलवाई थी खून और लोह की नीति, क्या है इसकी कहानी?
<p class="p1" style="text-align: justify;">भारत में कई शासकों ने अपनी महानता से इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया तो कई इतने क्रूर शासक हुए कि उनकी क्रूरता के किस्से आज भी मशहूर हैं<span class="s1">. </span>उन्हीं में एक शासक मध्यकाल में था<span class="s1">. </span>जिसका नाम बलवन था<span class="s1">. </span>बलवन एक समय इल्तुमिश का गुलाम हुआ करता था<span class="s1">. </span>जो इतना क्रूर शासक बना कि उससे बोलने की हिम्मत उसके दरबारी भी नहीं कर पाते थे<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>ऐसे बलबन ने हासिल की थी दिल्ली सल्तनत की गद्दी</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">दिल्ली की गद्दी पर जब इल्तुतमिश का शासन था उस समय बलबन उनका गुलाम हुआ करता था<span class="s1">. </span>जिसे इल्तुतमिश ने<span class="s1"> 1233 </span>में ग्वालियर फतह करने के बाद दिल्ली में खरीदा था<span class="s1">. </span>इस गुलाम को इल्तुतमिश ने अपने<span class="s1"> 40 </span>विश्वासपात्रों की<span class="s1"> ‘</span>चालीसा दल<span class="s1">’ </span>में शामिल किया था<span class="s1">. </span>बाद में इसी चालीसा दल का दमन करके बलबन दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश की गद्दी पर बैठा था<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>दरबार आने वाले को करना होता था ये काम</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">बलबन अपने दरबार में आने वालों के साथ खास तरह से पेश आता था<span class="s1">. </span>दरअसल जो भी दरबार में आता था उसे बलबन के बनाए नए तौर तरीकों का पालन करना होता था<span class="s1">. </span>उसने ये तौर तरीके पुराने ईरानी शासकों के तौर<span class="s1">-</span>तरीकों से मिलते जुलते ही बनाए थे<span class="s1">. </span>ऐसे में उसके दरबार में आने वालों के लिए नियम ता कि जो भी वहां आए वो सिर झुकाकर और घुटनों पर बैठकर सुल्तान के कदम चूमे<span class="s1">. </span>इस प्रथा को सजदा या पैबोस कहा जाता था<span class="s1">, </span>जिसका पालन दरबार में हाजिर होने वाले हर व्यक्ति को करना होता था<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>लोगों को डराने के लिए करता था ये काम</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">बलबन लोगों को अपने नाम से ही डराना चाहता था<span class="s1">, </span>साथ ही वो राजाओं का वैभव भी स्थापित करना चाहता था<span class="s1">. </span>ऐसे में वो जितनी लंबी दाढ़ी रखता उतना ही लंबा मुकुट भी पहनता<span class="s1">, </span>जिससे उसे लोग देखते ही भयभीत हो जाते थे<span class="s1">.</span></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;"><strong>क्रूरता की हदें कर दी थीं पार</strong></p>
<p class="p1" style="text-align: justify;">बलबन ने अपने शासनकाल में क्रूरता की हदें पार कर दी थीं<span class="s1">. </span>वो अपने<span class="s1"> 40 </span>साथियों को मारकर सत्ता में आया था<span class="s1">. </span>वहीं एक बार उसके समय में<span class="s1"> 1279 </span>में बंगाल के सूबेदार तुगरिल खां ने विद्रोह किया और खुद के नाम से सिक्के चलवाए थे<span class="s1">. </span>इससे गुस्से में आकर बलबन ने वहां जाकर उस विद्रोह को ना सिर्फ दबाया<span class="s1">, </span>बल्कि कहा जाता है कि उसने मारे गए लोगों को सड़कों के किनारे खंभों से लटकाया और उनके सिर में कीलें तक ठुकवा दी थीं<span class="s1">.</span></p>
<p class="p3" style="text-align: justify;">जिससे लोगों में उसके नाम का भय फैल जाए और कोई विद्रोह करने की हिम्मत ना जुटा पाए<span class="s1">. </span>शासन करने की उसकी आक्रामक नीति को रक्त और लौह की नीति कहा जाता था<span class="s1">.</span></p>
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