धान की फसल में बढ़ रहे हैं जंगली घास तो करिए ये देशी उपाय, सात दिनों में मिलेगा पॉजिटिव रिजल्ट…-If weeds are growing in the paddy crop then do these home remedies, you will get positive results in seven days


पश्चिम चम्पारण. वैसे तो धान की फसल में घास होना एक आम बात है, लेकिन जंगली घास की अधिकता होना यह फसल के लिए बेहद हानिकारक है. इतना ही नहीं अगर निराई गुड़ाई के बाद भी यह हर सप्ताह लगातार पनप रहा है इसका समाधान होना बेहद आवश्यक है. किसान भाइयों के लिए यह समस्या न सिर्फ फसल की पैदावार को प्रभावित करती है, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता भी गिरा सकती है. ऐसे में एक देशी उपाय है जो इस समस्या का समाधान कर सकता है, और वह भी सिर्फ सात दिनों में. कृषि विशेषज्ञ ने पूरी प्रक्रिया को आसान भाषा में समझाया है.

क्या है देशी उपाय
माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरू तिवारी ने बताया कि जंगली घास को नियंत्रित करने के लिए नीम और लहसुन के काढ़े का उपयोग एक पुराना और प्रभावी तरीका है. यह काढ़ा न सिर्फ जंगली घास को बढ़ने से रोकता है, बल्कि धान की फसल को नुकसान पहुंचाए बिना उसे सुरक्षित रखता है.

काढ़ा तैयार करने की विधि
इस उपाय को बनाने के लिए कई सामग्री की आवश्यकता होती है. इनमें नीम की पत्तियां 1 किलो, लहसुन की कलियां 200 ग्राम, पानी 10 लीटर जरुरी है. अब सबसे पहले नीम और लहसुन की पत्तियों को पीसें. अच्छी तरह से पीसकर एक पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को 10 लीटर पानी में मिलाकर धीमी आंच पर करीब 30 मिनट तक उबालें. जब पानी का रंग गहरा हरा हो जाए, तो इसे आंच से उतार लें. इस काढ़े को छानकर ठंडा होने दें और फिर इसे स्प्रेयर में भर लें.

काढ़े का उपयोग कैसे करें
इस काढ़े को धान की फसल पर छिड़काव करें, खासकर उन जगहों पर जहां जंगली घास अधिक उग रही हो. सुबह के समय, जब धूप तीव्र न हो, छिड़काव करना अधिक प्रभावी होता है. इस उपाय को सात दिनों के अंतराल पर दो बार करें. पहले छिड़काव के बाद जंगली घास में कमी दिखनी शुरू हो जाएगी.

क्या रखें सावधानियां
इस काढ़े का छिड़काव करते समय ध्यान दें कि इसे फसल के साथ-साथ जंगली घास पर भी अच्छी तरह से छिड़का जाए.

क्या है विशेषज्ञ की राय

कृषि विशेषज्ञ डॉ. धीरू का कहना है, नीम और लहसुन का काढ़ा एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है जंगली घास को नियंत्रित करने के लिए. यह न सिर्फ फसल को सुरक्षित रखता है, बल्कि मिट्टी में भी कोई हानिकारक रसायन नहीं छोड़ता. किसानों को इस उपाय को अपनी कृषि तकनीक में शामिल करना चाहिए.

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